उलझन की गांठ पकड़ अपना बन सुलझा दे कोई.. कई बार राह देखते रह जाते हैं अपने की भीड़ में उस अपने की जो सचमुच मन की उलझने सुलझा जाये....पर कई बार अपने और उलझा जाते हैं बहुत सुन्दर सार्थक अभिव्यक्ति वाह!!!
नमस्ते, आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 11 जनवरी 2021 को 'सर्दियों की धूप का आलम; (चर्चा अंक-3943) पर भी होगी।-- चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है। जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
उलझन की गांठ पकड़
जवाब देंहटाएंअपना बन
सुलझा दे कोई..
कई बार राह देखते रह जाते हैं अपने की भीड़ में उस अपने की जो सचमुच मन की उलझने सुलझा जाये....पर कई बार अपने और उलझा जाते हैं
बहुत सुन्दर सार्थक अभिव्यक्ति
वाह!!!
सृजन को सार्थकता प्रदान करती सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए स्नेहिल आभार सुधा जी !
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जवाब देंहटाएंनमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 11 जनवरी 2021 को 'सर्दियों की धूप का आलम; (चर्चा अंक-3943) पर भी होगी।--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
चर्चा मंच पर मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार रविंद्र सिंह जी !
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार सर !
हटाएंआशा का संचार करती सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार सर !
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार सर !
हटाएंबहुत सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार शांतनु जी!
हटाएंसीलन से भरी
जवाब देंहटाएंमन की देहरी
स्वर्णिम सूरज से
भर धूप की मुट्ठी
मन के आंगन में
बिखरा दे कोई...
बहुत बहुत सरस भावपूर्ण
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार सर !
हटाएंबहुत सुंदर रचना सखी
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार सखी🙏🌹🙏
हटाएंसुन्दर सरस मनोभावों को व्यक्त करती मनोहारी रचना..
जवाब देंहटाएंसृजन को सार्थकता प्रदान करती सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए स्नेहिल आभार जिज्ञासा जी!
हटाएंसराहनीय रचना।
जवाब देंहटाएंसादर।
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार सधु चन्द्र जी 🙏
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