आधी सी रात में..
धीमे से बादल उतरते ।
मोती सी तुषार बूँदें..
सरसों पर देखी बिखरते ।
ऊन जैसा परस तेरा..
सर्दियों के दिन हठीले ।
चाय की वो चुस्कियाँ..
शीत लहरों में ठिठुरते ।
कहा भरे दिल से विदा...
रोये फिर मुझ से बिछुड़ के ।
मैं तुम्हें कैसे बताऊँ...
दिन ये इतने कैसे बीते ।
धूप के बिन लगे देखो ...
दिन भी रोते और बिसूरते ।
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【 चित्र :- गूगल से साभार 】
बहुत बेहतरीन गीतिका।
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन का मान बढ़ा..बहुत बहुत आभार सर!
हटाएंकहा भरे दिल से विदा...
जवाब देंहटाएंरोये फिर मुझ से बिछुड़ के ।
मैं तुम्हें कैसे बताऊँ...
दिन ये इतने कैसे बीते ।
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण सृजन
वाह!!!
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार सुधा जी !
हटाएंबहुत बढ़िया। बाकी "यादे" सिर्फ यादे रह जाती है।
जवाब देंहटाएंआपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया से लेखन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार शिवम् जी!
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन का मान बढ़ा..बहुत बहुत आभार सर!
हटाएंवाह! बहुत सुंदर!!!
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन का मान बढ़ा..बहुत बहुत आभार 🙏
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२६-१२-२०२०) को 'यादें' (चर्चा अंक- ३९२७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
चर्चा मंच पर सृजन को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार अनीता ।
हटाएंबहुत जरूरी है धूप भी ... जीवन और आज के मौसम दोनों में ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति ....
सारगर्भित सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से लेखन का मान बढ़ा...हार्दिक आभार नासवा जी!
हटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति, आने वाला समय आपके और आपके सपूर्ण परिवार के लिए मंगलमात हो
जवाब देंहटाएंसुन्दर सराहना भरी सारगर्भित प्रतिक्रिया से लेखन को सार्थकता मिली । सर आपके लिए भी सम्पूर्ण परिवार सहित आने वाला समय मंगलमय हो 🙏🙏
हटाएंस्मित सरगम सी .... मखमली छुअन सी .... बेहद खूबसूरत अहसास ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सी ऊर्जावान प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई..हार्दिक आभार अमृता जी!
हटाएंधूप के बिन लगे देखो ...
जवाब देंहटाएंदिन भी रोते और बिसूरते ।
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वाह क्या बात है! सुंदर प्रस्तुति। आपको शुभकामनाएं और बधाई। सादर।
सुन्दर सराहना भरी सारगर्भित प्रतिक्रिया से लेखन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार वीरेंद्र सिंह जी।
हटाएंह्रदय स्पर्शी सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार शांतनु जी!
हटाएंगहरे एहसासों का अप्रतिम सृजन।
जवाब देंहटाएंसुंदर हृदय तल तक उतरता
ऊर्जावान सराहना भरी प्रतिक्रिया से रचना मुखरित हुई..हार्दिक आभार कुसुम जी!
हटाएंमैं तुम्हें कैसे बताऊँ...
जवाब देंहटाएंदिन ये इतने कैसे बीते ।
धूप के बिन लगे देखो ...
दिन भी रोते और बिसूरते ।
बहुत सुंदर।
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ज्योति जी!
हटाएंबहुत ही सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अभिलाषा जी!
हटाएंमोती सी तुषार बूँदें..
जवाब देंहटाएंसरसों पर देखी बिखरते..बसंत ऋतु का आगमन !झूम जाता सहज मन ! आपकी ये पंक्तियाँ कर गई हैं मुदित मन ! मनोहारी कृति..
सुन्दर सराहना भरी सारगर्भित प्रतिक्रिया से लेखन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार जिज्ञासा जी!
हटाएंह्रदय स्पर्शी बेहद खूबसूरत अहसास ।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार संजय जी!
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