आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (16-12-2020) को "हाड़ कँपाता शीत" (चर्चा अंक-3917) पर भी होगी। -- सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। -- हार्दिक शुभकामनाओं के साथ। सादर...! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' --
चैन से सोये
जवाब देंहटाएंनींद भरे सागर में
बावरी खोना चाहती हैं
सुंदर।
हार्दिक आभार सधु चन्द्र जी ।
हटाएंथकन भरी है
जवाब देंहटाएंआँखों में
बहुत दिन बीते
चैन से सोये
नींद भरे सागर में
आँखें खोना चाहती हैं
बहुत खूब,बहुत कम शब्दों में हर दिल की व्यथा कह दी आपने,यही तो आपकी खासियत है,सादर नमन आपको
रचना का मान बढ़ाती आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ कामिनी जी ! सादर नमन ।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (16-12-2020) को "हाड़ कँपाता शीत" (चर्चा अंक-3917) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
चर्चा मंच पर सृजन को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार सर !
हटाएंवाह..!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार शिवम् जी ।
हटाएंसुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार नीतीश जी ।
हटाएंथकन भरी है
जवाब देंहटाएंआँखों में
बहुत दिन बीते
चैन से सोये
नींद भरे सागर में...बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति दी।
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए स्नेहिल आभार अनीता ।
हटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंआपकी प्रतिक्रिया सदैव उत्साहवर्धन करती है सर ! बहुत बहुत आभार आपका ।
हटाएंबहुत अच्छी... मन को छू लेने वाली कविता प्रिय मीना जी 🙏
जवाब देंहटाएंआपकी प्रतिक्रिया सदैव उत्साहवर्धन करती है प्रिय वर्षा जी!
हटाएंहृदयतल से हार्दिक आभार🙏
थकन भरी है
जवाब देंहटाएंआँखों में
बहुत दिन बीते
चैन से सोये
नींद भरे सागर में बहुत सुन्दर
बहुत ही सुन्दर अभिव्यति
सदर नमन
आचार्य प्रताप
प्रबंध निदेशक
अक्षर वाणी संस्कृत सामाचार पत्रम
ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है आचार्य प्रताप जी 🙏
हटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार ।
वाह मीना जी, सदैव की भांति...नींद भरे सागर में
जवाब देंहटाएंआँखें खोना चाहती हैं...बहुत खूब लिखा
आपकी प्रतिक्रिया सदैव उत्साहवर्धन करती है अलकनंदा जी!
हटाएंहृदयतल से हार्दिक आभार🙏
थकन भरी है
जवाब देंहटाएंआँखों में
बहुत दिन बीते
चैन से सोये
नींद भरे सागर में
आँखें खोना चाहती हैं
सुन्दर प्रस्तुति...
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार विकास जी।
हटाएंथकन भरी है
जवाब देंहटाएंआँखों में
बहुत दिन बीते
चैन से सोये
नींद भरे सागर में
बहुत सुंदर।
हार्दिक आभार सधु चन्द्र जी !
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपकी प्रतिक्रिया सदैव उत्साहवर्धन करती है सर ! बहुत बहुत आभार आपका ।
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआपकी प्रतिक्रिया सदैव उत्साहवर्धन करती है सर ! बहुत बहुत आभार आपका ।
हटाएंभावपूर्ण ।
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह पा कर अभिभूत है मन.
हटाएंगहरी थाकान के लम्हों को उतर जाने देना ही अच्छा है ...
जवाब देंहटाएंदूर पार देहने की शक्ति तभी ताज़ा रहती है ...
आपकी प्रतिक्रिया सदैव उत्साहवर्धन करती है नासवा जी ! बहुत बहुत आभार आपका ।
जवाब देंहटाएंबहुत दिन बीते
जवाब देंहटाएंचैन से सोये
नींद भरे सागर में...बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति दी।
आपकी प्रतिक्रिया सदैव उत्साहवर्धन करती है बहुत बहुत आभार अनुज !
हटाएं