जी चाहता है...
अपनी तूलिका में
लेकर सातों रंग
रंग दूं कोरे कैनवास
भर दूं..
शब्दों की गागर से
भावशून्य सागर
खोज लूं..
सृष्टि- रहस्य
हो जाऊँ…
अपरिचित से परिचित
निर्बल से सबल
मगर..
जानती हूँ
मैं भी इतना
आसान कहाँ ..
लक्ष्य भेदना
अर्जुन नहीं
मैं ...
कर्ण जैसा कुशल धनुर्धर
बनना चाहती हूँ
अपनी राह में आए कंटक
बस...
खुद हटाना चाहती हूँ
***
सार्थक और शिक्षाप्रद रचना।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । सादर आभार सर🙏🙏
हटाएंबहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार शिवम् जी ।
हटाएंखोज लूं..
जवाब देंहटाएंसृष्टि- रहस्य
हो जाऊँ…
अपरिचित से परिचित
निर्बल से सबल
बस यही चाहतो जीवन जीना सिखाती है हर मुश्किल से उबरना सिखाती है
फिर राह के कंटक खुद हटते चले जाते हैं
लाजवाब सृजन
वाह!!!
सृजन को सार्थकता देती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार सुधा जी ।
हटाएंअविश्वास की परिसीमाओं को तोड़ कर अथक प्रयास का छोड़ थामती यह रचना अत्यंत ही प्रभावशाली है। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया ।
जवाब देंहटाएंसृजन को सार्थकता देती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु सादर आभार आ. पुरूषोत्तम जी ।
हटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 08.10.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
चर्चा मंच की चर्चा में सृजन को सम्मिलित करने हेतु सादर आभार आ. दिलबाग सिंह जी ।
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु सादर आभार सर.
हटाएंआपके कैनवास से अति सुंदर रंग छिटक रहा है । मनभावन ।
जवाब देंहटाएंसृजन को सार्थकता देती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार अमृता तन्मय जी ।
हटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय अभिव्यक्ति दी।
जवाब देंहटाएंसादर
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु सस्नेह आभार अनीता ।
हटाएंबहुत अच्छी कविता... साधुवाद
जवाब देंहटाएंकृपया मेरी इस पोस्ट पर पधारने का कष्ट करें ⤵
https://vichar-varsha.blogspot.com/2020/10/19.html?m=1
निमंत्रण के लिए व कविता सराहना के लिए बहुत बहुत आभार वर्षा जी ।
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु सादर आभार सर.
हटाएंजोशीली रचना।
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार ज्योति जी।
हटाएंअर्जुन नहीं
जवाब देंहटाएंमैं ...
कर्ण जैसा कुशल धनुर्धर
बनना चाहती हूँ
अपनी राह में आए कंटक
बस...
खुद हटाना चाहती हूँ... बेहतरीन रचना सखी।
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु सस्नेह आभार सखी ।
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