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शनिवार, 3 अक्टूबर 2020

"क्षणिकाएं"

✴️

अनकही व्यथा मन में दबाये

धूसर मेघ …

बिना नागा चले आते हैं

सांझ की अगवानी में

और न जाने क्यों...

ढुलक जाते हैं अश्रु बूँद से

धरा के आँचल में..

✴️

खड़ी रहने दो

अपरिचय की दीवार

कुछ भरम..

मुस्कुराहटों में सजे 

बड़े भले लगते हैं

✴️

राख के तले

दब सोयी है चिंगारी

अपने आप में 

सुलगती सी..

मत मारो फूंक !

सुनते  हैं..एक फूंक से

वह दावानल भी

बन जाया करती है

✴️✴️✴️

20 टिप्‍पणियां:

  1. खड़ी रहने दो
    अपरिचय की दीवार
    कुछ भरम..
    मुस्कुराहटों में सजे
    बड़े भले लगते हैं...बहुत ही सुंदर गागर में सागर दी।
    लाजवाब 👌

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए स्नेहिल आभार अनीता!

      हटाएं
  2. सभी क्षणिकाएं बहुत ही सुंदर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार ज्योति जी !

      हटाएं
  3. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 5 अक्टूबर 2020) को 'हवा बहे तो महक साथ चले' (चर्चा अंक - 3845) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

    जवाब देंहटाएं
  4. चर्चा मंच पर मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए सादर आभार आ. रविंद्र सिंह जी ।

    जवाब देंहटाएं
  5. आज तो फूँकें बेताब हैं, चिंगारियों को सुलगाने के लिए

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. यही तो चिंता की बात सर! उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार।

      हटाएं
  6. "राख के तले
    ब सोयी है चिंगारी
    पने आप में
    सलगती सी..
    मत मारो फूंक !

    सुनते हैं..एक फूंक से

    वह दावानल भी

    बन जाया करती है"
    --
    सारगर्भित प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया से सृजन का सार्थकता मिली । सादर आभार सर ।

      हटाएं
  7. उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार अनीता जी।

      हटाएं
  8. खड़ी रहने दो

    अपरिचय की दीवार

    कुछ भरम..

    मुस्कुराहटों में सजे

    बड़े भले लगते हैं
    अद्भुत, लाजवाब सार्थक क्षणिकाएं मीना जी बहुत सुंदर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार कुसुम जी ।

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"