अन्तर्मन से एक
आवाज़ आई
कुछ कहना है...
चुप !!
विवेक ने तुरन्त
कस दी नकेल
और...
दे डाली एक सीख
जब प्रकृति ने
संरचना में दिये
सुनने को दो कान..
देखने को दो आँख…
और
बोलने को एक जीभ
तो कुछ तो देख
समझ के सीख
सत्य वचन..
दाँतों की लाडली
यह तो..
बोल कर निकल लेती है
चंचल जो ठहरी
और..उसके बाद बेचारा मन
झेलता है..
झाड़ू की सींक से
बातों के चाबुक
जो पड़ते दिखते तो नही
बस..
अपने निशां छोड़ जाते हैं
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अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंसादर आभार सर ।
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 28 सितंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसांध्य दैनिक मुखरित मौन में रचना साझा करने के लिए हार्दिक आभार यशोदा जी ।
हटाएंये निगोड़ी जीभ -
जवाब देंहटाएंरहिमन जिह्वा बावरी कह गयी सुरग पताल
आप तो कह के घुस गयी जूता खाय कपाल
सत्य कथन सर !आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ ।
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार सर ।
हटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार शिवम् जी ।
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (29-9 -2020 ) को "सीख" (चर्चा अंक-3839) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
चर्चा मंच पर मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार कामिनी जी !
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ । हार्दिक आभार सर ।
हटाएंवाह! बहुत ही सुंदर सीख शब्दों को कहा पता होता है? आघात कितना गहरा होता है...सराहनीय सृजन दी ।
जवाब देंहटाएंसृजन सफल हुआ प्रिय अनीता । अनमोल प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से आभार ।
हटाएंसटीक संदेश। जीभ को वश में रखना बहुत जरूरी है।
जवाब देंहटाएंआपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । बहुत बहुत आभार मीना जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर। कब बोलना है कब नहीं यही सीखने में कई बार पूरा जीवन लग जाता है। यह सीख लिया तो कई परेशानियाँ हल हो जाएँ। आभार।
जवाब देंहटाएंरचना का मर्म स्पष्ट करती सुन्दर सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार विकास जी।
हटाएंरहिमन जिह्वा बावरी, कह गई सरग-पाताल
जवाब देंहटाएंआपु तो कहि भीतर रही, जूती खात कपाल
सत्य कथन सर !आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ ।
हटाएंबहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार नीतीश जी ।
हटाएंकुछ तो देख
जवाब देंहटाएंसमझ के सीख
सत्य वचन..
प्रेरक कविता पंक्तियां....अच्छी कविता
बधाई एवं शुभकामनाएं ❤🍁❤
बहुत बहुत आभार वर्षा जी 🙏🙏
हटाएंकृपया मेरी इस पोस्ट का अवलोकन करने और उस पर अपनी बहुमूल्य टिप्पणी देने का कष्ट करें। इसमें आप भी शामिल हैं।
जवाब देंहटाएंhttp://varshasingh1.blogspot.com/2020/10/blog-post_1.html?m=0
आपका स्नेह और मान ऊर्जा भर देता है लेखनी मेंं । मैं अवश्य उपस्थित रहूंगी वर्षा जी🙏🙏
हटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अनुज ।
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