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सोमवार, 14 सितंबर 2020

"बदलता मौसम"

सभी विद्वजनों को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाइयाँ 💐💐 🙏🙏💐💐
--
आज कल आपसी सौहार्द्र 
और विमर्श की बातें कम
और विवाद की बातें
अधिक होती हैं..

मन के आंगन की
चहक खो सी गई है कहीं
क्योंकि एक कप चाय में अब
पहले वाली ताजगी नहीं रही..

चाँद -सितारे और सूरज भी
समझदार हो गए हैं..
बदलती हवाओं के रूख के साथ
कम ही दर्शन देते हैं..

बारिश और ठंड ने मिल कर
शहर के बिसूरते से मूड पर
झक्कीपन  की चादर 
चँदोवे सी तान दी..

एक शंका सी है मन में..
बदली आबोहवा के साथ 
सामाजिक दूरियां
कहीं भावात्मक दूरी 
 में तब्दील न हो जाए...

***

22 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर।
    हिन्दी दिवस की अशेष शुभकामनाएँ।

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    उत्तर
    1. आपको भी हिन्दी दिवस की अशेष शुभकामनाएं । रचना सराहना हेतु सादर आभार ।

      हटाएं
  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 14 सितंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सांध्य दैनिक मुखरित मौन में में रचना साझा करने हेतु हार्दिक आभार दिव्या जी!

      हटाएं
  3. बहुत सुंदर रचना सखी।
    हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार सखी ! आपको भी हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं ।

      हटाएं
  4. मौसम तो बदल कर फिर वापस आ जायेंगे ... पर मन की दूरियां शायद न आ सकें ... इसलिए जुड़ने का संकल्प जरूरी है ... हिन्दी दिवस की बधाई ....

    जवाब देंहटाएं
  5. आशावाद की ओर उन्मुख करती अमूल्य प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार नासवा जी । हिन्दी दिवस की आपको भी बहुत बहुत बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  6. उत्तर
    1. आभार सहित आपको भी हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सर ।

      हटाएं
  7. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (15-9 -2020 ) को "हिंदी बोलने पर शर्म नहीं, गर्व कीजिए" (चर्चा अंक 3825) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. चर्चा मंच पर रचना साझा करने हेतु हार्दिक आभार कामिनी जी । हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।

      हटाएं
  8. उत्तर
    1. हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित सहृदय आभार ज्योति जी ।

      हटाएं
  9. सही कहा ये सामाजिक दूरी कहीं भावनात्मक दूरी न बन जाय...।पल पल बदलते परिवेश पर बहुत सुन्दर चिन्तनपरक सृजन।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. रचना का मर्म सार्थक करती प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार सुधा जी ।

      हटाएं
  10. वाह!!सटीक बदलते समय के साथ बदलते मनोभाव और व्यवहार पर सार्थक प्रहार करती सुंदर अभिव्यक्ति।
    बहुत सुंदर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ कुसुम जी । सस्नेह आभार ।

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"