कड़वे घूंट सा आवेश
तो पी लिया
मगर...
गहरी सांसों में मौन भरे
पलकों की चिलमन में
एक क़तरा...
अटका रह गया वह
अभी तक वहीं ठहरा है
खारे सागर सा..
🍁
हर दिन
एक वादा..
कभी न तोड़ने के लिए
और…,
अगले ही दिन
एक विमर्श..
उसे तोड़ने के लिए
🍁
चलो !!
आज यूं भी कर लें
हवाओं में घुली आशाएं
सांसों में भर लें
उड़ा दें एक फूंक में
सारी चिंताएं..
दूर करें मन के क्लेश
पंछी से गुनगुनाएं
निखरी-धुली फिज़ाओं के
स्वागत में ...
खुले हृदय से बाहें फैलाएं
🍁
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (30-08-2020) को "समय व्यतीत करने के लिए" (चर्चा अंक-3808) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
श्री गणेशोत्सव की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
चर्चा मंच की प्रस्तुति में क्षणिकाओं को सम्मिलित करने हेतु.
हटाएंआपको भी गणेशोत्सव की अग्रिम शुभकामनाएं 🙏
हर दिन
जवाब देंहटाएंएक वादा..
कभी न तोड़ने के लिए
और…,
अगले ही दिन
एक विमर्श..
उसे तोड़ने के लिए
क्योंकि वादा निभाने की हिम्मत नहीं बची....
वाह!!!
एक से बढ़कर एक क्षणिकाएं।
लाजवाब।
उत्साहवर्धन करती सारगर्भित प्रतिक्रिया हेतु सस्नेह आभार सुधा जी !
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 29 अगस्त 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसांध्य दैनिक मुखरित मौन में क्षणिकाओं को साझा करने हेतु बहुत बहुत आभार यशोदा जी । सादर...
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन हेतु सादर आभार सर .
हटाएंलाजवाब क्षणिकाएं
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार अनीता सुधीर जी .
हटाएंआ मीना भारद्वाज जी, बहुत सटीक और सार्थक क्षणिकाएँ!--ब्रजेन्द्रनाथ
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन का मान बढ़ा । हृदयतल से आभार सर !
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन हेतु सादर आभार सर .
हटाएंवाह!लाजवाब सराहना से परे एक से बढ़कर एक क्षणिकाए।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन 👌👌
उत्साहवर्धन हेतु सस्नेह आभार अनीता !
जवाब देंहटाएंवादा और विमर्श ... वाह ... बहुत ही अच्छी लगी ... चन्द लाइनों में गहरी लम्बी बातों का जवाब नहीं ...
जवाब देंहटाएंआपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन का मान बढ़ा । हृदयतल से आभार नासवा जी ।
जवाब देंहटाएंहर दिन
जवाब देंहटाएंएक वादा..
कभी न तोड़ने के लिए
और…,
अगले ही दिन
एक विमर्श..
उसे तोड़ने के लिए
बहुत खूब,लाज़बाब सृजन मीना जी,सादर नमन
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए सहृदय आभार कामिनी जी
हटाएंसादर वन्दे !
सार्थक क्षणिकाएँ मीनाजी।
जवाब देंहटाएंये विशेष अच्छी लगी -
हर दिन
एक वादा..
कभी न तोड़ने के लिए
और…,
अगले ही दिन
एक विमर्श..
उसे तोड़ने के लिए।
सस्नेह।
आपको क्षणिका पसंद आई ..लेखन सार्थक हुआ । बहुत बहुत आभार मीना जी ।
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