खामोशी की जुबान गंभीर होती है ।
जब बोलती है तो उसकी गूंज ,
बेआवाज़ ही ,दूर तक सुनाई देती है ।।
🍁🍁🍁
अपनी जगह देख 'डोंट डिस्टर्ब' का टैग ।
बिना बताये चुपचाप लौट जाती है ,
नींद का भी अपना स्वाभिमान है ।।
🍁🍁🍁
पूनम का चाँद ठिठुरा सा लगता है ।
चाँदनी की पैरहन में भी नमी भरी है ,
कई दिनों से सूरज दूज का चाँद जो हो गया है ।।
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वाह!सराहना से परे 👌👌
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक त्रिवेणी।
सादर
हृदयतल से सस्नेह आभार अनीता !
हटाएंवाह!! गज़ब त्रिवेणियां ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव सुंदर गहन सृजन।
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को मान मिला ..हृदयतल से आभार कुसुम जी !
हटाएंसार्थक सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर आभार सर !
हटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (17अगस्त 2020) को 'खामोशी की जुबान गंभीर होती है' (चर्चा अंक-3796) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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-रवीन्द्र सिंह यादव
आपकी रचना की पंक्ति-
"खामोशी की जुबान गंभीर होती है"
हमारी प्रस्तुति का शीर्षक होगी।
चर्चा मंच की चर्चा में सृजन को सम्मिलित करने और प्रस्तुति के शीर्षक में सृजन की पंक्ति का चयन करने हेतु सादर आभार आदरणीय रविन्द्र सिंह जी 🙏
जवाब देंहटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंगहन भावों से भरी लाजवाब त्रिवेणी
अपनी जगह देख 'डोंट डिस्टर्ब' का टैग ।
बिना बताये चुपचाप लौट जाती है ,
नींद का भी अपना स्वाभिमान है
हृदयतल से स्नेहिल आभार सुधा जी !
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार सर !
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार सर !
हटाएंसच है ! खमोशी की जुबां जब बोलती है तो सब को खामोश कर जाती है
जवाब देंहटाएंमनोबल संवर्द्धन करती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार सर !
हटाएंमन के भावों का सुंदर संयोजन,बेहतरीन सृजन मीना जी,सादर नमन
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से सस्नेह आभार कामिनी जी !
हटाएंखामोशी की जुबान गंभीर होती है ।
जवाब देंहटाएंजब बोलती है तो उसकी गूंज ,
बेआवाज़ ही ,दूर तक सुनाई देती है ।।
बेहद दमदार पंक्तियां...ख़ामोशी की ज़ुबान पर
बधाई 🌺
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से सस्नेह आभार
हटाएंवर्षा जी 🙏
वाह मीना जी, नींद का स्वाभिमान आज हमने भी जाना ....वाह
जवाब देंहटाएंउर्जावान प्रतिक्रिया हेतु सस्नेह आभार अलकनंदा जी🙏
हटाएंवाह बेहतरीन
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार अनुराधा जी!
हटाएंवाह ... बेहतरीन त्रिवेनियाँ ...
जवाब देंहटाएंअलग अंदाज़ होता है त्रिवेणी का और आपने बाखूबी अदा किया है ...
उत्साहवर्धन करती ऊर्जावान प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार नासवा जी.
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