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शनिवार, 11 जुलाई 2020

"प्रश्न"


कल बादल का एक 
छोटा सा टुकड़ा
बहती हवाओं के साथ
पतझड़ में राह भटके
 सूखे पत्ते की मानिन्द
आ गिरा मेरी छत पर
छुआ तो हल्का ..नरम
मन को गीला करता
रूह का सा अहसास लिए
रूह इसलिए….., 
क्योंकि वह भी दिखती कहाँ है ?
बस होने का अहसास भर देती है
सुनो……. !
तुम्हारी दुनियाँ में भी 
क्या पतझड़ होता है ?
सुख-दुख ,जीवन-मरण 
और पतझड...
ये सब तो जीवन के साझी हैं
तुम……… ,
तुम भी नश्वर हो 
हमारी ही तरह...
फिर ये आदत कहाँ से ले आए ?
अजर-अमर होने की …?

🍁🍁🍁
【चित्र -गूगल से साभार】

22 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (१२-०७-२०२०) को शब्द-सृजन-२९ 'प्रश्न '(चर्चा अंक ३७६०) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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    1. शब्द -सृजन की प्रस्तुति में सृजन को सम्मिलित करने हेतु
      आपका हार्दिक आभार अनीता ।

      हटाएं
  2. ओह्ह..बेहद हृदयस्पर्शी पंक्तियाँ दी।
    दार्शनिक भाव लिए बेहतरीन सृजन।
    ---
    रुह का एहसास
    कभी सुकून तो कभी बेचैनी
    साँसों के स्पंदन में घुली
    महक कोई संदली-सी।

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    1. सुन्दर सराहनीय लेखन को सार्थकता प्रदान करती प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार श्वेता ।

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  3. तुम भी नश्वर हो
    हमारी ही तरह...
    फिर ये आदत कहाँ से ले आए ?
    अजर-अमर होने की …?
    जीवन की सच्चाई को आपने बहुत सहज शब्दों में वर्णित कर दिया

    जवाब देंहटाएं
  4. बादव के टुकड़े से गुप्तगू....
    वाह!!!

    छुआ तो हल्का ..नरम
    मन को गीला करता
    रूह का सा अहसास लिए

    बहुत ही सुन्दर हृदयस्पर्शी .....
    लाजवाब सृजन

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    उत्तर
    1. मनोबल संवर्द्धन के लिए बहुत बहुत आभार आभार सुधा जी।

      हटाएं
  5. तुम……… ,
    तुम भी नश्वर हो
    हमारी ही तरह...
    फिर ये आदत कहाँ से ले आए ?
    अजर-अमर होने की …?

    दार्शनिक भाव लिए हृदयस्पर्शी सृजन मीना जी,सादर नमन आपको

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मनोबल संवर्द्धन करती आपकी उपस्थिति के लिए सहृदय आभार कामिनी जी । सादन नमन 🙏

      हटाएं
  6. अजर अमर होने की आदत या चाहत ... पर सत्य बहुत कटु होता है प्राकृति जो होता है सत्य ... किसी को नहीं रहने देता अपने सिवा ... बहुत प्रभावी रचना ...

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    उत्तर
    1. सारगर्भित अनमोल प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार नासवा जी ।

      हटाएं
  7. छुआ तो हल्का ..नरम
    मन को गीला करता
    रूह का सा अहसास लिए
    बहुत सुन्दर कविता......बहुत सुन्दर लाइन...

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  8. छुआ तो हल्का ..नरम
    मन को गीला करता
    रूह का सा अहसास लिए

    बहुत ही हृदयस्पर्शी ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मनोबल संवर्द्धन हेतु बहुत बहुत आभार संजय जी ।

      हटाएं
  9. मानस लताएं उलझी सी कितने प्रश्न पूछती है हर शै से स्वयं को जोड़कर सदा कुछ अनसुलझा।
    बहुत सुंदर मन की गहन अनुभूति।

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    उत्तर
    1. सारगर्भित अनमोल प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार कुसुम जी ।

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"