(1)
मुझको समझने के लिए
काफी हैं शब्दों के पुल
मेरी दुनिया शब्दों से परे
अधूरी सी है ….
(2)
सांसारिक व्यवहारिकता
अभेद्य दीवार सी है
मेरे लिए...
पारदर्शिता के अभाव में
घुटन महसूस होती है
(3)
अचानक …
टूट कर गिरा एक लम्हा
खुद की खुदगर्ज़ी भूल...
सीना ताने खड़ा है
लेने हिसाब
ज़िन्दगी भर का...
*****
बहुत सुन्दर क्षणिकाएँ।
जवाब देंहटाएंपर्यावरण दिवस की बधाई हो।
सादर आभार सर सृजन की सराहना हेतु । आपको भी पर्यावरण दिवस की बहुत बहुत बधाई ।
हटाएंअचानक …
जवाब देंहटाएंटूट कर गिरा एक लम्हा
खुद की खुदगर्ज़ी भूल...
सीना ताने खड़ा है
लेने हिसाब...
ज़िन्दगी भर का.. वाह !लाजवाब सृजन दी सयम को हर पल का हिसाब देना होता है, ज़िंदगी पूछती है ज़िंदगी से कमाया क्या?
वाह !
सांसारिक व्यवहारिकता
अभेद्य दीवार सी है
मेरे लिए...
पारदर्शिता के अभाव में
घुटन महसूस होती है..व्यवहार की दीवार अब अभेद सी है
वाह !यथार्थ को इंगित करता लाजवाब सृजन दी.
सराहना सम्पन्न ऊर्जावान समीक्षात्मक टिप्पणी के लिए स्नेहिल आभार अनुजा ।
हटाएंअप्रतिम क्षणिकाएं
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार मैम 🙏
हटाएंअप्रतिम क्षणिकाएं
जवाब देंहटाएंसुन्दर क्षणिकाएँ...
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार विकास जी ।
हटाएंअति सुंदर क्षणिकाएँ ... 💐💐
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार सर🙏🙏
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (06 जून 2020) को 'पर्यावरण बचाइए, बचे रहेंगे आप' (चर्चा अंक 3724) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
रवीन्द्र सिंह यादव
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (06 जून 2020) को 'पर्यावरण बचाइए, बचे रहेंगे आप' (चर्चा अंक 3724) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
रवीन्द्र सिंह यादव
हार्दिक आभार चर्चा मंच पर सृजन साझा करने हेतु 🙏
हटाएंबहुत सुन्दर क्षणिकाएँ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार नीतीश जी ।
हटाएंसांसारिक व्यवहारिकता
जवाब देंहटाएंअभेद्य दीवार सी है
मेरे लिए...... बहुत सुंदर मीना जी...और सारी की सारी व्यवहारिक ज्ञज्ञन भी करा रही हैं
आपकी सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से लेखन का मान बढ़ा ।
हटाएंसादर आभार अलकनंदा जी ।
आपकी क्षणिकाएँ क्षण भर में गहन संदेश दे जाती है
जवाब देंहटाएंबढ़िया
सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । बहुत बहुत आभार आदरणीय 🙏
हटाएंबहुत सुन्दर क्षणिकाएँ
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार अनिल जी ।
हटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार ज्योति जी ।
हटाएंकिसे कहूँ अच्छा ,यहाँ तो सब है अच्छा ,बेहतरीन
जवाब देंहटाएंऊर्जावान प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से आभार ज्योति जी ।
हटाएंअचानक …
जवाब देंहटाएंटूट कर गिरा एक लम्हा
खुद की खुदगर्ज़ी भूल...
सीना ताने खड़ा है
लेने हिसाब
ज़िन्दगी भर का...
हम्म्म। ..इतना बड़ा और इतना मुश्किल हिसाब मुश्किल है
बहुत ही असरदार क्षणिकाएं। .. बहुत गहन लेखन
आपकी सराहना से लेखन को सार्थकता मिली जोया जी ।
हटाएंबहुत बहुत आभार आपका ।
बहत खूब हैं सभी ...
जवाब देंहटाएंपर आखरी वाला बेहद दिलचस्प ...
काश ऐसे खड़े हो सकें लम्हे ...
आभार नासवा जी 🙏 होता है यूं भी..हो सकता मेरी ही सोच हो ।
हटाएंअसरदार क्षणिकाएं।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार संजय जी ।
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