नव पल्लव अंकुआये
किसलय पंक्ति देख
सूखे तरु हरषाये
गोकुल की सब गौरी
मिलने कृष्णा से
निकली चोरी-चोरी
मिलने कृष्णा से
निकली चोरी-चोरी
महकी पाटल कलियाँ
वृष्टि हुई अब तो
मिल बात करें सखियाँ
मग देख रहे नैना
कब आओगे तुम
चितचोर जरा कहना
बेला - जूही महकी
छलिया है कान्हा
कहती चलती-चलती
🍁🍁🍁
【 चित्र-गूगल से साभार】
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(१७-०५-२०२०) को शब्द-सृजन- २१ 'किसलय' (चर्चा अंक-३७०४) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
चर्चा-मंच के शब्द-सृजन अंक की चर्चा में सृजन को साझा करने के लिए हार्दिक आभार अनीता जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार अनुराधा जी ।
हटाएंनव पल्लव अंकुआये
जवाब देंहटाएंकिसलय पंक्ति देख
सूखे तरु हरषाये
बहुत खूब सखी ,अब जीवन में भी नए किसलय का इंतज़ार हैं ,सुंदर सृजन ,सादर नमन
सही कहा आपने...मन के कोने कहीं विश्वास की लौ जली तो है कि सब कुछ अच्छा हो...अपनत्व भरी प्रतिक्रिया के लिए सस्नेह आभार । सादर नमन सखी !
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार सर .
हटाएंसुन्दर सृजन.....
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार विकास जी .
हटाएंबहुत सुन्दर माहिया ... कान्हा को समर्पित भाव ... बहुत सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए असीम आभार नासवा जी।
हटाएंनव पल्लव अंकुआये...
जवाब देंहटाएंमहकी पाटल कलियाँ....
अति सुन्दर। सादर
स्वागत आपका ब्लॉग पर हिमांशु पाण्डेय जी 🙏 सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार ।
हटाएंबहुत सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार सर .
हटाएंMeena जी
जवाब देंहटाएंनमस्ते
बहुत ही समय पश्चात आना हुआ
और आउँ और आपकी रचनाये न पढूं ये हो ही नहीं सकता क्यूंकि विश्वास होआ हे सार्थक सृजन और मोहक
रचना मिलने का
और ये रचना तो मेरे आराधय श्री कृष्ण रंग से सराबोर है तो ख़ुशी बहुत बढ़ गयी
बेला - जूही महकी
छलिया है कान्हा
कहती चलती-चलती
बहुत प्यारे भाव उकेरे हैं आपने। .मुख पर खुद ही इक मुस्कान खींची जाती है पढ़ते पढ़ते
बहुत ही मनमोहक रचना
कोविड -१९ के इस समय में अपने और अपने परिवार जानो का ख्याल रखें। .स्वस्थ रहे। .
आपकी मनमोहक अपनत्व भरी प्रतिक्रिया ने मेरी लेखनी का मान बढ़ाया जोया जी । स्वस्थ रहें अपना व अपनों का ख्याल रखें । हृदय से असीम आभार ।
हटाएंबहुत सुंदर रचना, मीना दी।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ज्योति बहन ।
हटाएंसभी माहिया बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार डॉ. जेन्नी शबनम जी ।
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