महानगर ~
वैश्विक महामारी
सूनी डगर ।
भोर व सांझ ~
खिड़कियों से आती
काढ़े की गन्ध ।
जामुन गाछ~
बाल झुंड सिमटा
ग्रीष्म मध्याह्न ।
मध्य यामिनी ~
बालिका के हाथ में
केक व छुरी ।
खेत की मेड़~
बोझा सिर पे लादे
दृग छलकें ।
नदी में बाढ़ ~
तट पर मजमा
डूबती बस ।
वर्षा फुहार~
मेज पर थाली में
चाय पकौड़े ।
जीर्ण हवेली~
झरोखे के छज्जे पे
चील का नीड़ ।
★★★★★
बहुत शानदार प्रस्तुति मीना जी सार्थक हाइकु सृजन।
जवाब देंहटाएंऊर्जावान सराहनीय प्रतिक्रिया हेतु बहुत बहुत आभार कुसुम जी !
हटाएंबढ़िया शब्द चयन
जवाब देंहटाएंसादर आभार आपका 🙏🙏
हटाएंबहुत सुन्दर हाइकू ... प्रतीकात्मक अन्जाज में कहने का लाजवाब अंदाज़ हैं हाइकू ...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत ...
सृजन का मान बढ़ाती सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए असीम आभार नासवा जी ।
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (28 -4 -2020 ) को " साधना भी होगी पूरी "(चर्चा अंक-3684) पर भी होगी,
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
चर्चा मंच की प्रस्तुति में सृजन को मान देने के लिए सादर आभार कामिनी जी ।
हटाएंवाह ! बेहतरीन हाइकु आदरणीया दीदी... लाजवाब प्रतीक
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर अंदाज़
सादर स्नेह
सृजन को सार्थकता देती अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए स्नेहिल आभार अनीता बहन !
हटाएंबहुत ही लाजवाब हायकु मीना जी!
जवाब देंहटाएंशानदार विम्ब और प्रतीक
वाह!!!
आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए सस्नेह आभार सुधा जी.
हटाएंसार्थक सृजन
जवाब देंहटाएंसादर आभार आदरणीय !
हटाएंवाह!मीना जी ,बहुत सुंदर सृजन ।
जवाब देंहटाएंअमूल्य प्रतिक्रिया के लिए सस्नेह आभार शुभा जी.
हटाएंबहुत सुंदर हाइकु
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार सखी !
हटाएंवाह ...लाजवाब
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आत्ममुग्धा जी !
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार सर !
हटाएंवाह लाज़वाब
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार मैम !
हटाएंसभी हाइकु शानदार...
जवाब देंहटाएं👌👌👌
सहृदय आभार सुधा जी 🙏🙏
हटाएंThanks for sharing this wonderfull article with us. beststory4u
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