( 1 )
चिनार के पत्तों से
मुठ्ठी की रेत सा
फिसलता कोहरा
आसमान में …,
छिटपुट तारों के बीच
उदास सा शुक्र तारा
और…
स्थिर पलों में
तिल तिल खर्च होता
आदमी….
(2)
बोझल तेवर लिए
हवाएँ ...
शून्य ताकती
नीरव पगडंडियां...
दिन-रात के सन्नाटे को
भेदती है….
एक चिड़िया की
टिटकार...
बैचेन पखेरु भी
व्याकुल हैं….
खामोश उड़ान की तेजी
जता रही है….
इनको भी चिन्ता है
अपने अपनों की….
★★★★★
लाजवाब सृजन मीना जी ।
जवाब देंहटाएंइतनी गहरी संवेदनाएं आपने कम शब्दों में उकेर दी अद्भुत अभिनव ।
संवेदनाओं को समझने के लिए आभार कुसुम जी । आजकल मनस्थिति कमोबेश सृजन के जैसी ही है ।
हटाएंबैचेन पखेरु भी
जवाब देंहटाएंव्याकुल हैं….
खामोश उड़ान की तेजी
जता रही है….
इनको भी चिन्ता है
अपने अपनों की….
सही कहा मीनाजी सभी व्याकुल हैं इस विश्वव्यापी बिमारी से....
बहुत सुन्दर भावपूर्ण सृजन।
सृजन का मर्म स्पष्ट करती प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार सुधा जी । सस्नेह...
हटाएंबहुत खूब 👌👌👌
जवाब देंहटाएंहृदयतल से आभार सखी जी 🙏🙏
हटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक क्षणिकाएँ।
जवाब देंहटाएंसादर आभार सर ।
हटाएंखामोश उड़ान की तेजी
जवाब देंहटाएंजता रही है….
इनको भी चिन्ता है
अपने अपनों की….
गहरी संवेदनाएं लिए मार्मिक सृजन मीना जी ,सादर नमन आपको
आपकी प्रतिक्रिया से लेखन सार्थक हुआ कामिनी जी ! स्नेहिल आभार ।
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आदरणीय🙏
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन....
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार विकास जी ।
हटाएंउत्कृष्ट सृजन
जवाब देंहटाएंहृदयतल से आभार आदरणीया दी .
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन
अनमोल प्रतिक्रिया हेतु सादर आभार सर .
हटाएंगहरे भाव ...
जवाब देंहटाएंआज हर किसी की चिंता है .... इस सन्नाटे की, खुद की ...
काश संवेदनशील रहे सब सदा के लिए ...
आपके ऊर्जावान अनमोल शब्दों के लिए हृदयतल से आभार नासवा जी ।
हटाएंबेहद खूबसूरत सृजन सखी
जवाब देंहटाएंहृदयतल से असीम आभार सखी !
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