(1)
क्षितिज पर
उगी हैं काली घटाएं
लगता है …,
झूम के मेह बरसेगा
लम्बी प्रतीक्षा के
बाद वसुन्धरा भी
आज खिल उठेगी
नवेली दुल्हन सी
(2)
एक अर्से के बाद
मिले हैं...
यादों की संदूकची से
आज ...
बेशकीमती लम्हें
निकलेंगें….,
उन अहसासों को
छूने के बाद ...
आँखों से मोती
छलकना..तो बनता है
(3)
धूसर सांझ में
दिन भर के श्रम से
थक हार अपने
लाव लश्कर के साथ
घर लौटता है किसान
जहाँ हुलसते बच्चे
प्रतीक्षा करते हैं
अपने स्वजनों की..
शहर हो या गांव
अपनों के नेह से
आज को जीना
और ....
कल का इन्तजार
आज को जीना
और ....
कल का इन्तजार
आसान हो जाता है
★★★★★
★★★★★
मीना जी !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लेकिन दिल को कचोटती सी कविताएँ !
समझ में नहीं आ रहा कि 'वाह' कहूं या फिर 'आह' कहूं.
आभार सर ! आपकी प्रतिक्रिया ने सृजन को सार्थकता प्रदान की.. सराहना भरे शब्दों ने मान बढ़ाया लेखन का ।
हटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार लोकेश नदीश जी ।
हटाएंएक अर्से के बाद
जवाब देंहटाएंमिले हैं...
यादों की संदूकची से
आज ...
बेशकीमती लम्हें
निकलेंगें….,
उन अहसासों को
छूने के बाद ...
आँखों से मोती
छलकना..तो बनता है
बहुत खूब मीना जी ,दिल को छू लेने वाली रचना ,सादर नमन आपको
आपकी अनमोल प्रतिक्रिया सदैव लेखन का सार्थकता देती है कामिनी जी । स्नेहाभिवादन🙏
हटाएंप्रिय मीना जी, बहुत भावपूर्ण कविताएँ है । पहली उमीद से भरी है , तो दूसरी भीतर यादो की कसक जगाती है। तीसरे में प्रतिक्षा से उपजे आत्मीयता के सूत्र मन को छूते हैं। सार्थक लेखन के लिए हार्दिक शुभकामनायें। 🙏🙏😊
जवाब देंहटाएंआपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया सदैव मान बढ़ाती हैं रचना का ...लेखनी सार्थक हुई आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से । सस्नेह आभार प्रिय सखी 🙏🙏😊
हटाएंएक अर्से के बाद
जवाब देंहटाएंमिले हैं...
खूबसूरत अह्साशों से भरी बेहतरीन कविताएँ प्रस्तुत की है आपने
आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से रचनाओं को सार्थकता मिली संजय जी । असीम आभार ।
हटाएंकल का इंतज़ार, उम्मीद के साथ।
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.
स्वागत आपका "मंथन" पर गुरमिन्दर जी । आपको भी गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँँ ःः
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