पतझर के पीले पात सी
दिन के छोर पर अटकी
वह सर्दियों की
ठंडी सी सांझ..
ठिठुरी भीगी अधजली
धुआं उगलती लकड़ियाँ
अकड़ी ..सूजी ..नीली पड़ी
तुम्हारी ठंडी अंगुलियां
बता रही यह राज
कि वे दिन भर
कितना श्रम करती हैं...
चेहरे पर मृदु हास लिए
होठों पर स्मित मुस्कान भरे
स्थितप्रज्ञ सी आकृति तुम्हारी
आ बैठती है अक्सर
मेरे मन की देहरी पर...
जब मैं सम्बल खोती हूँ
नहीं अपने में होती हूँ
बनती है मेरी उत्प्रेरक
जीवन जीने की जिजीविषा
मेरे अन्तस् में भरती है...
★★★★★
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसादर आभार सर !
हटाएंवाह बहुत सुंदर मीना जी गहरे अहसास समेटे सुंदर सृजन ।
जवाब देंहटाएंआपकी प्रतिक्रिया से सृजन को सार्थकता मिली । हार्दिक आभार कुसुम जी ।
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (११ -०१ -२०२०) को "शब्द-सृजन"- ३ (चर्चा अंक - ३५७७) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
-अनीता सैनी
चर्चा मंच पर सृजन को मान देने के लिए हार्दिक आभार अनीता जी ।
हटाएंवाह!मीना जी ,बहुत सुंदर👌👌
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार विभा जी ।
हटाएंजब मैं सम्बल खोती हूँ
जवाब देंहटाएंनहीं अपने में होती हूँ
बनती है मेरी उत्प्रेरक
जीवन जीने की जिजीविषा
मेरे अन्तस् में भरती
" मन के गहरे भाव समेटे हुए " बहुत ही सुंदर सृजन मीना जी ,सादर नमन
आपकी सुन्दर सराहनीय प्रतिक्रिया से रचना का मान बढ़ा कामिनी जी । असीम आभार सहित स्नेहाभिवादन ।
हटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार ओंकार जी ।
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर भावप्रवण रचना
चेहरे पर मृदु हास लिए
होठों पर स्मित मुस्कान भरे
स्थितप्रज्ञ सी आकृति तुम्हारी
आ बैठती है अक्सर
मेरे मन की देहरी पर...
अनमोल प्रतिक्रिया के लिए स्नेहाभिवादन संग हार्दिक आभार सुधा जी ।
हटाएंभावपूर्ण गहन अर्थ समेटे हुये बहुत सुंदर रचना मीना दी।ःःसादर।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सारगर्भित प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली..स्नेहिल आभार श्वेता ।
हटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति मीना जी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अनुराधा जी ।
हटाएंसुंदर ! जीजिविषा के जीवित रहने में किसी ना किसी रूप में कोई प्रेरणा अवश्य योगदान करती है।
जवाब देंहटाएंआपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया से सृजन सार्थक हुआ । असीम आभार मीना जी ।
हटाएंआपकी भावनायें एकदम नि:शब्द कर गयीं..
जवाब देंहटाएंआकृति तुम्हारी
आ बैठती है अक्सर
मेरे मन की देहरी पर...
आपकी उपस्थित सदैव मेरी रचनाओं का मान द्विगुणित करती है संजय जी ..आपका असीम आभार ।
हटाएंबहुत बढ़िया। भावुक भी...
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार प्रकाश शाह जी ।
हटाएंबेहद खूबसूरत
जवाब देंहटाएंहृदयतल से आभार ।
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