सुरम्य सुरभित नव विहान ,
तुमसे है मुझे कुछ मांगना ।
मेरे और अपनों की खातिर ,
ऊर्जस्विता की है कामना ।।
तमस हर अज्ञान का ,
ज्ञान पुंज बढ़ता रहे ।
राग-द्वेष , वैर-भाव का
मनोमालिन्य घटता रहे ।।
विहगों के कलरव गान सम ,
समता -बन्धुता का राग हो ।
मानव निस्पृह तरुवर सदृश
हिमाद्रि सम ठहराव हो ।।
सुरम्य सुरभित नव विहान ,
मेरी तुमसे यही चाहना ।
सम्पूर्ण विश्व परिवार तुल्य ,
बस इतनी सी है कामना ।।
★★★★★
कल्याणमयी कामना फलीभूत हो,आपके स्वर में हम भी अपना स्वर मिलाते हैं.
जवाब देंहटाएंअसीम आभार मैम ...,आपकी प्रतिक्रिया से लेखनी सार्थक हुई ।
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 02 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसांध्य मुखरित मौन में रचना साझा करने के लिए हार्दिक आभार यशोदा जी ।
हटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार सर !
हटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार नीतीश जी ।
हटाएंबहुत खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंतहेदिल से आभार अनुराधा जी ।
हटाएंबहुत ही खूब
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार लोकेश नदीश जी ।
हटाएंबेहद खूबसूरत वंदन।
जवाब देंहटाएंतहेदिल से आभार सुजाता जी ।
हटाएंबेहद खूबसूरत मन
जवाब देंहटाएंसाधुवाद इस सृजन के लिए
आपसे आशीर्वचन पाकर अभिभूत हूँ दी ! सादर आभार ।
हटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंअसीम आभार ज्योति जी ।
हटाएं
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०४-०१-२०२०) को "शब्द-सृजन"- २ (चर्चा अंक-३५८०) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
चर्चा मंच के शब्द-सृजन अंक में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए हार्दिक आभार अनीता जी ।
हटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार सर .
हटाएंतमस हर अज्ञान का ,
जवाब देंहटाएंज्ञान पुंज बढ़ता रहे ।
राग-द्वेष , वैर-भाव का
मनोमालिन्य घटता रहे ।।
वाह!!!
बहुत ही सुन्इ रचना
अद्भुत शब्दविन्यास...
बहुत बहुत आभार सुधा जी ।
हटाएंसकारात्मक ऊर्जा लिए हर शब्द ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है ...
हार्दिक आभार नासवा जी ।
हटाएंbahut smay baad aana huya is traf.....aapki rchnaa pdhnaa to lazmi thaa hi
जवाब देंहटाएंबस इतनी सी है कामना
hmm..in shoti shoti si kaamnon ne hi mohjaal bichaa rkhaa he
bahut hi pyaari rchnaa..bhasha sashakat
Mujh se itana sneh rakhane ke liye hardik aabhar Joya ji... Aapke sneh bhare shabdon se abhibhoot hoon. Happy new year Joya ji .
जवाब देंहटाएंराग-द्वेष , वैर-भाव का
जवाब देंहटाएंमनोमालिन्य घटता रहे ।।
वाह!!!
बहुत ही खूबसूरत रचना
सुन्दर सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार संजय जी ।
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