आवरण बद्ध कल बस ,
अपने खोल से निकलने ही वाला है ।
हर बार की तरह आज ,
बस कल में बदलने ही वाला है ।।
आज और कल यूं ही ,
साल दर साल बदलते रहेंगे ।
हर बार की तरह इस बार भी ,
आधी रात को पटाखें बजते रहेंगे ।
कहीं अल्कोहलिक बेवरेज के महंगे दौर चलेंगे
और रंगीन होती रहेंगी मधुशालाएं ।
कहीं रहेगी फिक्र सदा की तरह रोजी रोटी की
और जलती रहेंंगी अतृप्त अरमानों की ज्वालाएं ।
चिन्तन-मनन के लिए तीन सौ चौसठ दिन ,
एक दिन का उत्सव तो मन ही सकता है ।
दरवाजे पर खड़ा नया साल हम से,
अभिनन्दन की उम्मीद तो रख ही सकता है ।
छोड़़ो किन्तु -परन्तु के झंझट
मन में उत्साह का संचार करो ।
फिर से आ गया नया साल ,
हँस बोल स्वागत सत्कार करो ।
★★★★★
बिलकुल ... ३६४ दिन चिंतन मनन और अंतिम दिन सब कुछ भुला कर बस नया साल.... अत तो दिखाई दे रहा है सामने....
जवाब देंहटाएंअग्रिम बधाई नव वर्ष की ...
हार्दिक आभार नासवा जी ..आपको भी सपरिवार नववर्ष की अग्रिम बधाई एवं शुभकामनाएं ।
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (30-12-2019) को 'ढीठ बन नागफनी जी उठी!' चर्चा अंक 3565 पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं…
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रवीन्द्र सिंह यादव
चर्चा मंच पर रचना को मान देने के लिए हार्दिक आभार रविन्द्र जी ।
हटाएंबहुत उम्दा अभिव्यक्ति ब्लॉग बुलेटिन पर आपकी रचना देखकर खुशी हुई :))
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन पर मेरे सृजन को मान देने के लिए मैं रश्मि प्रभा जी और ब्लॉग बुलेटिन टीम की आभारी हूँ संजय जी । आपकी उपस्थिति से हार्दिक खुशी हुई । बहुत बहुत आभार ।
हटाएंबहुत सुंदर सृजन मीना जी ।
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने जो समय के साथ आ रहा है उसे नया मान आशा के साथ स्वागत कर ही लेना चाहिए।
सुंदर सहज अभिव्यक्ति।
सृजन के मर्म पर प्रकाश डालती सुन्दर समीक्षा के लिए हार्दिक आभार कुसुम जी ।
हटाएंजी, सकारात्मकता जीवन में हो तो हर दिन एक उल्लास की तरह बीतता है। इसीलिए साल के पहले दिन एक स्वागत ख़ुशी मनाकर किया जाता है। इसे जताने के तरीके भिन्न हो सकते हैं। आने वाले वर्ष की आपको भी अग्रिम बधाई।
जवाब देंहटाएंरचना की सुन्दर सहज समीक्षात्मक टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार विकास जी । आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंलाजवाब
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
बहुत बहुत आभार लोकेश नदीश जी ।
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और प्रभावी भाव की रचना
सादर
आपकी उपस्थिति से रचना का मान बढ़ा..बहुत बहुत आभार आदरणीय ।
हटाएंहर बार की तरह आज ,
जवाब देंहटाएंबस कल में बदलने ही वाला है ।।
ufff...itni sarltaa se itnii bd baat keh gyii aap
hmmm...isi line pr atak gyi
bdhaayi khoobsurat rchna ke liye
Thank you Joya ji... Thanks a lot.. itani khubsurat pratikriya ke liye.
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (24-7-22} को "सफर यूँ ही चलता रहें"(चर्चा अंक 4500)
पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
“सफ़र यूँ ही चलता रहे” की चर्चा में मुझे सम्मिलित करने के लिए सादर आभार कामिनी जी ! आ . शास्त्री सर सहित आप सभी चर्चाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार भारती जी 🙏
हटाएंऔर हम आज पढ़ रहे ये स्वागत गान जब 2022 भी आधा निकल गया ।
जवाब देंहटाएंकामिनी जी का स्नेह है यह कि उन्होंने मेरे सृजन को चर्चा में सम्मिलित किया..,आप की स्नेहिल उपस्थिति ने नव वर्ष के स्वागत में 2019 में लिखी रचना को मान बढ़ाया । हार्दिक आभार आ. दीदी ! सस्नेह सादर वन्दे ।
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