Copyright

Copyright © 2024 "मंथन"(https://www.shubhrvastravita.com) .All rights reserved.

रविवार, 24 नवंबर 2019

।। मुक्तक ।।

(1)
वृक्षों के जैसा कोई उपकारी नही है
नष्ट करना इनको समझदारी नही है।
पोषित इन के दम पर पूरा पर्यावरण
वन रक्षण क्या सबकी जिम्मेदारी नहीं है
( 2 )
स्व को कर परमार्जित हम आगे बढ़ते हैं ।
अपनी 'मैं' को भूल कर सबकी सुनते हैं ।।
हो सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय का भाव ।
करे उन्नति सम्पूर्ण राष्ट्र ,यही स्वप्न देखते हैं ।।
(3)
ऐसे भी नौनिहाल हैं जो काँटों में पलते हैं ।
श्रम की भट्टी में वो लौह खण्ड से ढलते हैं ।।
दो अवसर उनको भी तो स्व उन्नयन का ।
नन्ही आशा के दीप उन नैनों में भी जलते हैं ।।
(4)
सकारात्मकता का भाव हृदय में संचित करेंगे ।
सर्वांगीण शिक्षा के कीर्तिमान अर्जित करेंगे ।।
नहीं रहे समाज में वर्गभेद और निरक्षर कोना ।
कैसे फिर विकास और उत्थान  से वंचित रहेंगे ।।

★★★★★

24 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (25-11-2019) को "कंस हो गये कृष्ण आज" (चर्चा अंक 3530) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं….
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. चर्चा मंच के सोमवार संकलन में मेरे द्वारा रचित मुक्तकों को साझा करने के लिए सादर आभार रविंद्र जी ।

      हटाएं
  2. बहुत खूब ...
    चरों मुक्तक कुछ सन्देश और आशा का भाव लिए हैं ... पेड़ों का महत्त्व, स्व को भूल जाना और बच्चे फिर सकारात्मक भाव ... सभी जरूरी हैं जीवन में ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी अनमोल प्रतिक्रिया सदैव सृजन को सार्थकता और मान प्रदान करती है नासवा जी । बहुत बहुत आभार ।

      हटाएं
  3. वाह एक से बढ़कर एक,चारों मुक्तक कमाल लिखें हैं। अद्भुत प्रस्तुति 👌

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उत्साहवर्धित करती सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार अनुराधा जी ।

      हटाएं
  4. सुंदर मुक्तक। जीवन के अलग अलग पहलुओं पर ध्यान दिलाते और उन पर विचार करने को प्रेरित करते हैं ये मुक्तक।

    जवाब देंहटाएं
  5. जीवन दर्शन के विभिन्न कलेवर को प्रदर्शित करते हुई सभी मुक्तक अपने आप में बहुत प्रभावशाली लिखे गए हैं यूं ही लिखते रहिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी सराहना पगी शुभकामनाओं के लिए हृदय की असीम गहराईयों से आभार अनु । सस्नेह ...

      हटाएं
  6. बेहद गहरे अर्थों को समेटती खूबसूरत चारों मुक्तक भाव युक्त शब्दों के साथ अद्भुत संयोजन...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न अनमोल प्रतिक्रिया के लिए असीम आभार संजय जी ।

      हटाएं
  7. बेहद सराहनीय एवं सार्थ मुक्तक मीना दी।ःःशब्द संयोजन बहुत अच्छा हैःः

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए स्नेहिल आभार श्वेता ।

      हटाएं
  8. काश कि इन मुक्तकों में दी गयी सीख हम अपने जीवन में उतारें !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अभिभूत हूँ आपकी प्रतिक्रिया से .., आपकी उपस्थिति मान बढ़ाती है लेखनी का ।

      हटाएं
  9. बहुत सुंदर सृजन मीना जी सार्थक और सटीक।
    काश सब इसे समझते।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुन्दर सार्थक प्रतिक्रिया से लेखन को प्रवाह और सार्थकता मिली...,अत्यंत आभार कुसुम जी ।

      हटाएं
  10. लाजवाब मुक्तक
    बहुत खूब
    सभी एक से बढ़कर एक

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उत्साहवर्धित प्रतिक्रिया के तहेदिल से आभार लोकेश जी ।

      हटाएं
  11. क्या आपको वेब ट्रैफिक चाहिए मैं वेब ट्रैफिक sell करता हूँ,
    Full SEO Optimize
    iss link me click kare dhekh sakte hai - https://bit.ly/2M8Mrgw

    जवाब देंहटाएं
  12. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-3-22) को "सैकत तीर शिकारा बांधूं"'(चर्चा अंक-4374)पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं
  13. विशेष प्रस्तुति में मेरी रचनाओं का चयन हर्ष और गर्व का विषय है मेरे लिए.., बहुत बहुत आभार कामिनी जी!

    जवाब देंहटाएं
  14. आज भी उतने ही सार्थक मुक्तक जितने लिखते समय थे ।
    शानदार सृजन मीना जी।

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"