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रविवार, 6 अक्टूबर 2019

"अलविदा"

अलविदा कहने का वक्त आ ही गया आखिर.. मेरे साथ रह तुम भी खामोशी के आदी हो गए थे । अक्सर हवा की सरसराहट तो कभी गाड़ियों के हॉर्न
कम से कम मेरे को अहसास करवा देते कि दिन की गतिविधियां चल रहीं हैं कहीं । 'वीक-एण्ड' पर मैं अपने मौन का आवरण उतार फेंकती तो तुम भी मेरी ही तरह व्यस्त और मुखर दिखते ।
चलने का समय करीब आ रहा है । सामान की पैकिंग हो रही है सब चीजें सम्हालते हुए मैं एक एक सामान  सहेज रही हूँ । महत्वपूर्ण सामान में तुम से अपने से जुड़ी सब यादें भी स्मृति-मंजूषा में करीने से सजा ली हैं । फुर्सत के पलों में जब मन करेगा यादों की गठरी खोल कर बैठ जाऊँगी.. गाड़िया लुहारों की सी आदत हो गई थी मेरी आज यहाँ तो कल वहाँ । जो आज बेगाना है वह कल अपना सा लगेगा..मुझे भी..तुम्हे
 भी ।  मेरी यायावरी समाप्त हो रही है । ईंट-पत्थरों के जंगल में ढेर सारी बहुमंजिली इमारतों के बीच 'मनी प्लांट' सा मेरा घर प्रतीक्षा कर रहा मेरी..मेरी स्मृतियों में तुम खास रहोगे… सदा सर्वदा..।।

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14 टिप्‍पणियां:

  1. ईंट-पत्थरों के जंगल में ढेर सारी बहुमंजिली इमारतों के बीच 'मनी प्लांट' सा मेरा घर प्रतीक्षा कर रहा मेरी..मेरी स्मृतियों में तुम खास रहोगे… सदा सर्वदा..।।

    दिल को छू गई आपकी रचना मीना जी ,क्योकि मैं भी अपने घर से बहुत दूर हूँ ,बहतरीन अभिव्यक्ति ,सादर

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    1. आपकी उपस्थिति सदैव हौसलाअफजाई करती है कामिनी जी
      बहुत बहुत आभार ।

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  2. जी नमस्ते,


    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (07-10-2019) को " सनकी मंत्री " (चर्चा अंक- 3481) पर भी होगी।


    ---

    रवीन्द्र सिंह यादव

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    1. चर्चा मंच पर मेरे सृजन को मान देने के लिए बहुत बहुत आभार रविन्द्र जी ।

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  3. रचना हृदय स्पर्शी तो है ही साथ ही अहसासों को झकझोर रही हैं अभिनव भाव रचना मीना जी बहुत सुंदर ।

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    1. आपकी उपस्थिति और हौसलाअफजाई सदैव मनोबल संवर्द्धन करती है कुसुम जी । बहुत बहुत आभार ।

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  4. आज बेगाना है वह कल अपना सा लगेगा..मुझे भी..तुम्हे
    भी । मेरी यायावरी समाप्त हो रही है । ईंट-पत्थरों के जंगल में ढेर सारी बहुमंजिली इमारतों के बीच 'मनी प्लांट' सा मेरा घर प्रतीक्षा कर रहा मेरी..मेरी स्मृतियों में तुम खास रहोगे… सदा सर्वदा...... बेहतरीन सृजन प्रिय मीना दी
    सादर

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    1. उत्साहवर्धन करती अनमोल प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार.. धन्यवाद अनीता जी ।

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  5. प्रिय मीना बहन ' अलविदा ' शब्द अपने आप में बहुत बड़ी एक अव्यक्त वेदना समेटे है | एक बहुत ही भावभीने एहसासों से सजा सृजन जो मन से मन तक जाता है | मेरी यायावरी समाप्त हो रही है --- एक अछ्वास है विकल मन का | सस्नेह --

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    1. मन अभिभूत है रेणु बहन आपके स्नेहसिक्त सम्बल से लेखन का मान बढ़ा..बहुत बहुत आभार ।

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  6. बहुत खूब ...
    मन की यायावरी जब तक रहती है यादें जुडती हैं ... फिर इन यादों की गठ्रियें खुलती हैं ... खुशबू देती हैं ... अच्छा सफ़र शब्दों का ...विजयदशमी की बहुत शुभकामनायें ...

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    1. सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार नासवा जी । आपको भी विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँँ ।

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मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"