(1)
है
द्वैत
अद्वैत
मतान्तर
निर्गुण ब्रह्म
घट घट व्याप्त
प्रसून सुवासित
(2)
है
सृष्टि
अनन्त
निराकार
परमतत्व
अनहद नाद
आवरण भूलोक
(3)
है
पर्व
अनूप
भाईदूज
रक्षाकवच
बहन का नेह
सर्वकामना पू्र्ति
(4)
है
विश्व
बन्धुत्व
अन्तर्भाव
मूल आधार
परराष्ट्र नीति
महनीय भारत
🌸🌸🌸
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (30-10-2019) को "रोज दीवाली मनाओ, तो कोई बात बने" (चर्चा अंक- 3504) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चा मंच पर मेरे सृजन को मान देने के लिए हृदयतल से हार्दिक आभार आदरणीय ।
हटाएंवाह !बेहतरीन सृजन सखी
जवाब देंहटाएंसादर
हौसला अफजाई के लिए तहेदिल से आभार अनीता जी ।
हटाएंसस्नेह..
... वाह बहुत ही उत्तम सृजन वर्ण पिरामिड में प्रयुक्त शब्द एक दूसरे के समरूप हैं बहुत ही अच्छे तरीके से अपने वर्ण पिरामिड को सजाया
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से हार्दिक आभार अनु जी ।
हटाएंलाजवाब मीना जी।
जवाब देंहटाएंअद्भुत रचना।
वाह
वर्ण भी पिरामिड में और भाव भी।
आपका नई रचना पर स्वागत है 👉👉 कविता
हौसला अफजाई के लिए तहेदिल से आभार रोहित जी । आपकी"कविता" बेहद मर्मस्पर्शी लगी ।
हटाएंसराहनीय वर्ण पिरामिड मीना जी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार संजय जी ।
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