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सोमवार, 14 अक्टूबर 2019

"शरद पूर्णिमा का चाँद"

"शरद पूर्णिमा का चाँद"
चाँदी जैसी आब लिए
धवल ज्योत्सना की
ऊँगली थाम...
बादलों पर कर सवारी
नीलाम्बर आंगन में
उतरा है अपनी 
पूरी ठसक भरी
सज-धज के साथ
शरद पूर्णिमा का चाँद
रात की सियाही में
कहीं भी..धरती पर उगे
अनगिनत दिपदिपाते
अपने सरीखे दिखते
भाई-बंधुओं के बीच
ठगा सा सोचता है
रूकूं या वापस जाऊँ..

★★★★★

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुत सुंदर अलग सा अहसास ।
    सच कृत्रिम रोशनी ने लगता है चांद की रौनक चुरा ली हो ।
    सुंदर प्रस्तुति मीना जी ।
    शरद पूर्णिमा आपके जीवन में सुधा रौशन करें, सदा सर्वदा।

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    उत्तर
    1. आपकी शुभेच्छाएँ और स्नेह सदैव मेरे लिए अनमोल थाती है कुसुम जी !! हृदय की असीम गहराईयों से आभार !! मेरी लेखनी को सार्थकता मिली आपकी अनमोल सराहना से ।

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  2. चन्द्रमा की सुंदरता सी मनमोहक रचना ,सादर नमन मीना जी

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर नमस्कार कामिनी जी !! आपकी अनमोल प्रतिक्रिया सदैव उत्साहवर्धन करती है ।

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  3. चन्द्रमा की सुंदरता के अहसासों को शब्द देकर कितनी सहज और सुन्दर रचना रच डाली है.....

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    1. उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद संजय जी !

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  4. चाँद की सुंदरता का बहुत ही सुंदर वर्णन किया हैं आपने,मीना दी।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार ज्योति बहन ।

      हटाएं
  5. उत्तर
    1. उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार अनुराधा जी ।

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"