अपना वजूद भी इस दुनिया का एक हिस्सा है उस पल को महसूस करने की खुशी , आसमान को आंचल से बाँध लेने
का हौंसला , आँखों में झिलमिल - झिलमिलाते सपने और आकंठ हर्ष आपूरित आवाज़ -
“ मुझे नौकरी मिल गई है , कल join करना है वैसे कुछ दिनों में exam भी हैं……, पर
मैं सब संभाल लूंगी।” कहते- कहते उसकी आवाज
शून्य में खो सी गई । मुझे खामोश देख
वो फिर चहकी - “ मुझे पता है आप
मैं सब संभाल लूंगी।” कहते- कहते उसकी आवाज
शून्य में खो सी गई । मुझे खामोश देख
वो फिर चहकी - “ मुझे पता है आप
अक्सर मुझे लेकर चिन्तित होती हो , मैंंने सोचा सब से
पहले आप से खुशी बाँटू। “
पहले आप से खुशी बाँटू। “
मैं सोच रही थी अधूरी पढ़ाई , गोद में बच्चा , घर की जिम्मेदारी और ढेर सारे सामाजिक दायित्व । ये भी नारी का एक रुप है कभी बेटी , कभी पत्नि तो कभी जननी । हर रूप में अनथक परिश्रम करती है और अपना अस्तित्व कायम रखने के लिए अवसर की तलाश में रहती है ।अवसर मिलते ही पल्लवित होती है अपनी पूर्ण सम्पूर्णता के साथ।
दमकते चेहरे और उसके बुलन्द हौंसलों को देखकर मुझे बेहद खुशी हुई और यकीन हो गया कि एक दिन फिर वह निश्चित रूप सेे इस से भी बड़ी खुशी मुझसे बाँट कर मुझे चौंका देगी ।
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बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार
हटाएंअनुराधा जी ।
बहुत सुंदर सृजन है मीना जी! एक नारी कितने दायित्व एक साथ निभालेती है बिना विचलित हुए आत्म गौरव और दृढ़ता के साथ नये आयाम स्थापित करती रहती है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन।
उत्साहवर्धन करती आपकी प्रतिक्रिया सदैव अभिनव लेखन के लिए प्रोत्साहित करती है कुसुम जी । आपका तहेदिल से आभार ।
हटाएंएक लड़की कब एक बेटी से एक सम्पूर्ण औरत बन जाती हैं पता ही नहीं चलता ,बहुत ही सुंदर भावुक करता सृजन ,सादर
जवाब देंहटाएंआपकी प्रतिक्रिया सदैव उत्साहवर्धन करती है कामिनी बहन..बहुत बहुत आभार ।
हटाएंआधुनिक साहित्य ने महिलाओं को बेहद करीब से जानकर खुद को संतुलित किया है। और ये सन्तुलन महिला साहित्यकारों के बगैर कभी सम्भव न था।
जवाब देंहटाएंआपकी रचना भी एक महिला को जो बेटी है,मां है..। सब कुछ होने केसाथ साथ सामाजिक प्राणी के तौर अपना खुद का वजूद मानती है।
सुंदर सृजन।
आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया के लिए असीम आभार रोहित जी ।
हटाएंबहुत शक्तिशाली है नारी ... हर रोल में रोल मोडल बन जाती है ... फिर चाहे पुरुष के नारी के किसी के भी हों ...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है ...
सारगर्भित सराहना सम्पन्न प्रतिक्रिया के लिए असीम आभार
हटाएंनासवा जी ।
जवाब देंहटाएंनारी सदा से कई-कई भूमिकाएं एक साथ निभाती आी है,अगर वह प्रबुद्ध ,सचेत और समर्पित भी हो अपने लक्ष्य के प्रति तब तो क्या कहने !
हृदय की असीम गहराइयों से आभार आपका
हटाएंनारी के दायित्व के साथ साथ उसका अपना वजूद भी इस दुनिया का एक हिस्सा है क्योंकि वो हमेशा से ही कई-कई भूमिकाएं एक साथ निभाती आई है नारी के दायित्व पर सुंदर लघुकथा...आभार आपका पढ़वाने के लिए मीना जी
जवाब देंहटाएंमनोबल संवर्द्धन के लिए असीम आभार संजय जी ।
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