पहाड़ों की एक सांझ
गीले गीले से बादल
मोती सी झरती बूँदें
खाली बोझिल सा मन
ऐसे में चाय की प्याली
मन को स्पन्दित करती
प्राणों में उर्जा भरती
चिन्तन को प्रेरित करती
पंचभूत की है प्रधानता
जड़ चेतन मे सारे
यूं ही भागे फिरते हैं हम
मोह-माया के मारे
बूँद उठी सागर से
सागर में मिल जानी है
जीना जल की बूँद के जैसा
अपनी यही कहानी है
★★★★★
वाह !बहुत ही सुन्दर सृजन दी
जवाब देंहटाएंसादर
स्नेहिल आभार अनु ।
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 25 अगस्त 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंहृदयतल से सादर आभार दिग्विजय जी ।
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार सुशील जी ।
हटाएंवाह क्या बात बहुत खूबसूरत शब्द चित्र दी।
जवाब देंहटाएंस्नेहिल आभार श्वेता.. तुम्हारी उपस्थित सदैव हर्ष प्रदान करती है ।
हटाएंबहुत सुंदर रचना मीना जी
जवाब देंहटाएंस्नेहिल आभार अनुराधा जी ।
हटाएंबहुत सुंदर रचना,मीना दी।
जवाब देंहटाएंस्नेहिल आभार ज्योति जी ।
हटाएंबूँद उठी सागर से
जवाब देंहटाएंसागर में मिल जानी है
जीना जल की बूँद के जैसा
अपनी यही कहानी है
उम्दा अभिव्यक्ति, मातृभूमि से सुदूर उस असीम सुकून के सागर को पाने लिए मन लालायित
आपकी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार बलबीर राणा जी ।
हटाएंआध्यात्मिक सुंदर गहरा भाव चित्रण मीना जी ।
जवाब देंहटाएंकाव्य पक्ष सुदृढ़ और सरस।
आपकी सराहना संपन्न प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली कुसुम जी ।
हटाएंपहाड़ों की सांझ से लेकर ... सागर की बूंदों तक जीवन का क्षण-भंगुर एहसास पर लम्हे को जीने को प्रेरित करता है ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना है ...
आपकी उत्साहवर्धित करती प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली...तहेदिल से आभार नासवा जी ।
हटाएंवाह बेहतरीन रचनाओं का संगम।एक से बढ़कर एक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंBhojpuriSong.in
बहुत बहुत आभार सागर जी ।
हटाएंऐसे में चाय की प्याली
जवाब देंहटाएंमन को स्पन्दित करती
प्राणों में उर्जा भरती
चिन्तन को प्रेरित करती
आहा:...चाय। .हम्म्म... कविता खुद बी खुद बदामी हो गयी...सौर चढ़ने लगा...चाय के हर घूँट की तरह धीरे धीरे..और जो सकूं महसूस होता हे...वही हुआ.....पहाड़ों में बहती पुरवाई स छूने लगी...
बहुत ही आनंद देने वाली रचना
आपकी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए अत्यंत आभार जोया जी।
हटाएंबहुत ही खूबसूरत रचना है अपने दिल के हाल जैसी !
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार संजय जी !
हटाएंबरसती बूँदे...और सांझ के संग चाय उफ्फ!!!
जवाब देंहटाएंदीदी आपने किसी याद को जैसे हु-ब-हू जीवंत कर दिया हो !
थैक्स आपको पढ़कर मन को सुकून मिलता है 🙏!!!
बहुत बहुत आभार नीतू ! सस्नेह..
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी है पहाड़ों की ये शाम प्रिय मीना जी , वो भी एक प्याली गर्म चाय के साथ !!!!!!
जवाब देंहटाएंअसीम स्नेहिल आभार प्रिय रेणु बहन !!!
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