top hindi blogs

Copyright

Copyright © 2024 "मंथन"(https://www.shubhrvastravita.com) .All rights reserved.

रविवार, 25 अगस्त 2019

"पहाड़ों की एक सांझ"


पहाड़ों की एक सांझ
गीले गीले से बादल
मोती सी झरती बूँदें
खाली बोझिल सा मन

ऐसे में चाय की प्याली
मन को स्पन्दित करती
प्राणों में उर्जा भरती
चिन्तन को प्रेरित करती

पंचभूत की है प्रधानता
जड़ चेतन मे सारे
यूं ही भागे फिरते हैं हम
मोह-माया के मारे

 बूँद उठी सागर से
सागर में मिल जानी है
जीना जल की बूँद के जैसा
अपनी यही कहानी है

★★★★★




















28 टिप्‍पणियां:

  1. वाह !बहुत ही सुन्दर सृजन दी
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 25 अगस्त 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह क्या बात बहुत खूबसूरत शब्द चित्र दी।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. स्नेहिल आभार श्वेता.. तुम्हारी उपस्थित सदैव हर्ष प्रदान करती है ।

      हटाएं
  4. बूँद उठी सागर से
    सागर में मिल जानी है
    जीना जल की बूँद के जैसा
    अपनी यही कहानी है
    उम्दा अभिव्यक्ति, मातृभूमि से सुदूर उस असीम सुकून के सागर को पाने लिए मन लालायित

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार बलबीर राणा जी ।

      हटाएं
  5. आध्यात्मिक सुंदर गहरा भाव चित्रण मीना जी ।
    काव्य पक्ष सुदृढ़ और सरस।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी सराहना संपन्न प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली कुसुम जी ।

      हटाएं
  6. पहाड़ों की सांझ से लेकर ... सागर की बूंदों तक जीवन का क्षण-भंगुर एहसास पर लम्हे को जीने को प्रेरित करता है ...
    सुन्दर रचना है ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी उत्साहवर्धित करती प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली...तहेदिल से आभार नासवा जी ।

      हटाएं
  7. वाह बेहतरीन रचनाओं का संगम।एक से बढ़कर एक प्रस्तुति।
    BhojpuriSong.in

    जवाब देंहटाएं
  8. ऐसे में चाय की प्याली
    मन को स्पन्दित करती
    प्राणों में उर्जा भरती
    चिन्तन को प्रेरित करती



    आहा:...चाय। .हम्म्म... कविता खुद बी खुद बदामी हो गयी...सौर चढ़ने लगा...चाय के हर घूँट की तरह धीरे धीरे..और जो सकूं महसूस होता हे...वही हुआ.....पहाड़ों में बहती पुरवाई स छूने लगी...

    बहुत ही आनंद देने वाली रचना

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए अत्यंत आभार जोया जी।

      हटाएं
  9. बहुत ही खूबसूरत रचना है अपने दिल के हाल जैसी !

    जवाब देंहटाएं
  10. बरसती बूँदे...और सांझ के संग चाय उफ्फ!!!
    दीदी आपने किसी याद को जैसे हु-ब-हू जीवंत कर दिया हो !
    थैक्स आपको पढ़कर मन को सुकून मिलता है 🙏!!!

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत बहुत आभार नीतू ! सस्नेह..

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत प्यारी है पहाड़ों की ये शाम प्रिय मीना जी , वो भी एक प्याली गर्म चाय के साथ !!!!!!

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"