हो गई अभिव्यक्ति
अनुभूतियों के लिए
चिंतन के तार ...
उलझे-बिखरे से
दूर-दूर नजर आते हैं
सच ही तो कहा है किसी ने...
'सोच गहरी हो तो फैसले
कमजोर पड़ जाते हैं'
अपने साथ भी कुछ ऐसा ही है
शिल्प के बंधन की
खोज में दो और दो का
जोड़ उलझ गया और
पाँच का सिरा ढूंढ़ते हुए
दिन यूं ही ढल गया
नारियल की डाली से
लुकाछिपी करते
चाँद के साथ चाँदनी भी
थक हार कर
बादलों में छुप गई
शून्य मे ताकती आँखे
मुट्ठी भर नींद के
आगोश में झपक गई
आधे-अधूरे ख्वाब...
रात भर नींद में
नज्म लिखते रहे
बस डायरी के सफहे
खाली थे वे
वैसे के वैसे रह गए
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आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार, जुलाई 02, 2019 को साझा की गई है पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को मंगलवार समूह पटल पर मान देने के लिए हृदय से आभार सखी ! सादर...
हटाएंवाह मीना जी भाव विभोर कर गई आपकी अनुपम कृति।
जवाब देंहटाएंसच है, रात भर लिखी नज्म कभी कागज पर ढल ही नही पाती, वैसे ही शुरू करलो पर पहुंच कहीं और जाती है।
बहुत सुंदर बहुत प्यारी।
सुन्दर सराहनीय रचना को सार्थकता प्रदान करती प्यारी सी प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से स्नेहिल आभार कुसुम जी!!
हटाएंसुन्दर सरहनिय रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ऋतु जी ! सस्नेह...
हटाएंशून्य मे ताकती आँखे
जवाब देंहटाएंमुट्ठी भर नींद के
आगोश में झपक गई
आधे-अधूरे ख्वाब...
रात भर नींद में
नज्म लिखते रहे
बस डायरी के सफहे
खाली थे वे
वैसे के वैसे रह गए..बेहतरीन रचना
बहुत बहुत आभार अनुराधा जी ।
हटाएंआधे-अधूरे ख्वाब...
जवाब देंहटाएंरात भर नींद में
नज्म लिखते रहे
बस डायरी के सफहे
खाली थे वे
वैसे के वैसे रह गए!!!!
बहुत भावपूर्ण रचना प्रिय मीना जी | एकाकी मन कुछ भी सोच लेता है |हर पल को शब्दबद्ध कहाँ मुमकिन है? अनगिन नज़में यूँ ही भीतर ही दम तोड़ देती हैं अक्सर !सुंदर रचना के लिए सस्नेह शुभकामनायें |
स्नेहिल शुभकामनाओं में लिपटी आपकी सारगर्भित प्रतिक्रिया अनमोल है रेणु जी । सस्नेह आभार..
हटाएंबेहतरीन सृजन व अकल्प अभिव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार पुरुषोत्तम जी ।
हटाएंवाह!!बहुत ही खूबसूरत भावाभिव्यक्ति सखी मीना जी ।
जवाब देंहटाएंअनमोल प्रतिक्रिया के लिए स्नेहिल आभार प्रिय शुभा जी!
हटाएंबहुत ही भावपूर्ण रचना, मीना दी।
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार ज्योति जी ।
हटाएंजब ज़िन्दगी के सफे भर रहे होते हैं तो डायरी के सफे खाली ही रह जाते हैं ... बहुत भावपूर्ण रचना ...
जवाब देंहटाएंहौसला अफजाई करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार नासवा जी ।
हटाएंवाहः
जवाब देंहटाएंगज़ब भावाभिव्यक्ति
आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से लिखना सफल हुआ दी🙏🙏
हटाएंआधे-अधूरे ख्वाब...
जवाब देंहटाएंरात भर नींद में
नज्म लिखते रहे
बस डायरी के सफहे
खाली थे वे
वैसे के वैसे रह गए....एक बार फिर गहराई से निकली मन को गहरे तक छूती रचना !
हौसला अफजाई का हृदयतल से आभार संजय जी ।
हटाएंआधे-अधूरे ख्वाब...
जवाब देंहटाएंरात भर नींद में
नज्म लिखते रहे
बस डायरी के सफहे
खाली थे वे
वैसे के वैसे रह गए
एक एक शब्द दिल को छूता हुआ ,बहुत ही सुंदर रचना मीना जी
स्नेहिल आभार कामिनी जी !
हटाएंभावों की अप्रतिम गहराई!!!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार विश्वमोहन जी ! आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली ।
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