कैसे कैसे रंग बदलता आदमी ।
वक्त के साथ ढलता आदमी ।।
परिवर्तन में ये तो इतना माहिर ।
गिरगिट से होड़ करता आदमी ।।
स्याह रंग की पहनता पैहरन ।
फिर भी उजली कहता आदमी ।।
आगे बढ़ने की होड़ मे देखो ।
अपनों पे पैर रखता आदमी ।।
आश्रित सदा अमरबेल सा ।
खुद को बरगद समझता आदमी ।।
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जवाब देंहटाएंआगे बढ़ने की होड़ मे देखो ।
अपनों पे पैर रखता आदमी ।।
बिल्कुल सही, मीना दी।
उत्साहवर्धन के लिए स्नेहिल आभार ज्योति जी ।
हटाएंआज के परिवेश के दर्शन कराती रचना
जवाब देंहटाएंहृदयतल से स्नेहिल आभार ऋतु जी ।
हटाएं
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (12-05-2019) को
"मातृ दिवस"(चर्चा अंक- 3333) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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अनीता सैनी
"चर्चा मंच" पर मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार अनीता जी ।
हटाएंबहुत सुंदर रचना 👌👌
जवाब देंहटाएंहृदयतल से सस्नेह आभार अनुराधा जी ।
हटाएंआदमी की बदलती फितरत और गिरती इंसानियत पर बहुत ही शानदार प्रस्तुति मीना जी।
जवाब देंहटाएंसहज और प्रवाह लिये असाधारण भावाभिव्यक्ति
आपकी अनमोल और स्नेहिल प्रतिक्रिया बेहतर लेखन हेतु मन में नव उत्साह और ऊर्जा का संचार करती है कुसुम जी ..., सस्नेह आभार ।
हटाएंआदमी तो आदमी है
जवाब देंहटाएंबदल जाना लाज़िमी है
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति मीना जी..👌
अनमोल काव्यात्मक प्रतिक्रिया के लिए सस्नेह आभार श्वेता जी ।
हटाएंसच कहा
जवाब देंहटाएंहृदयतल से सादर आभार ओंकार जी ।
हटाएंआश्रित सदा अमरबेल सा
जवाब देंहटाएंखुद को बरगद समझता आदमी
बहुत खूब,,,,, मीना जी ,सादर नमस्कार
स्नेहिल अभिवादन सहित बहुत बहुत आभार कामिनी जी ।
हटाएंमीना जी कृपया मेरे मेल पर मुझसे संपर्क करें...
जवाब देंहटाएंSwetajsr2014@gmail.com
जी अवश्य श्वेता जी ।
हटाएंवाह ...
जवाब देंहटाएंहर शेर लाजवाब और आदमी की असलियत को बाखूबी रखता हुआ ...
समय के साथ क्या से क्या हो गया आदमी ...
आपकी अनमोल प्रतिक्रिया से लेखन को सार्थकता मिली नासवा जी ।
हटाएंबहुत बहुत आभार आपका ।
उत्साहवर्धक लाजवाब शेर के लिए आभार.....शब्दों के अर्थ के साथ आदमी की असलियत पर बहुत सुंदर संदेश देती रचना !
जवाब देंहटाएंआपकी अनमोल प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से आभार संजय जी ।
हटाएंसुन्दर ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार विकास जी ।
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