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सोमवार, 22 अप्रैल 2019

"गर्मी की छुट्टियाँ"

जाने को है वसन्त
पक गए
सरसों के फूल
धरा ने पहने
वासन्ती  वसन

वृक्षों के तन पर
शोभित सुवासित
नव कलिकाएं
मन्जुल मंजरियाँ
आमों के टिकोरे
मलयानिल झकोरे

पूर्वोत्तर क्षितिज पर
बिखरा सोना
कोयल की कूहुक
देती दस्तक
उजली भोर की ।

गर्मी की छुट्टियां
बच्चों की टोलियां
कूदती-फांदती
छुपती-छुपाती
कभी इस डाल
कभी उस डाल

तोड़ती अम्बियाँ
इमली की गुच्छियां
अमरूद , लीचियाँ
लूट का सामान
आपस में बांटती
रूठती मनाती

गाँवों की बागीचियाँ
घनी अमराईयाँ
भरी दोपहरी  
मूक गवाह
चंचल बचपन की




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24 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 22/04/2019 की बुलेटिन, " टूथ ब्रश की रिटायरमेंट - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार शिवम् जी मेरे सृजन को ब्लॉग बुलेटिन में स्थान देने के लिए ।

      हटाएं
  2. पूर्वोत्तर क्षितिज पर
    बिखरा सोना
    कोयल की कूहुक
    देती दस्तक
    उजली भोर की ।
    बहुत ही सुन्दर...
    बहुत लाजवाब
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर बदलते मौसम का दिलकश राग...👌

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. स्नेहिल आभार श्वेता जी ! लिखा तो आपके 'हमकदम' के लिए था बस डेट मिस हो गई । अच्छा लगा आपकी प्रतिक्रिया देख कर :-)

      हटाएं
  4. गाँवों की बागीचियाँ
    घनी अमराईयाँ
    भरी दोपहरी
    मूक गवाह
    चंचल बचपन की
    *************
    *************

    वाह क्या बात है। आपको बधाई।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया के लिए सादर आभार विरेन्द्र जी।

      हटाएं
  5. बहुत ही प्यारी रचना...
    बिल्कुल नर्सरी राइम का मज़ा आ गया!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. "मंथन" पर आपका स्वागत सलिल जी 🙏🙏 आपकी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से आभार ।

      हटाएं
  6. भोर का आगमन कोयल के साथ ही होता है ...
    बहुत सुंदर बंध हैं ...
    भाव स्पष्ट हैं ... कहन लाजवाब है ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी हौसला अफजाई सदैव रचनात्मकता को सार्थकता देती है बहुत बहुत आभार नासवा जी ।

      हटाएं
  7. सबके दरवाज़े,खिडकियों पर दस्तकें देती है....गर्मी की छुट्टियाँ

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी प्रतिक्रिया सदैव रचनात्मकता को सार्थकता और उत्साहवर्धन करती है संजय जी । तहेदिल से आभार ।

      हटाएं
  8. वाह बहुत सुन्दर मीना जी ।
    बहुत सुनहरी यादों को संजोए सरस सुहानी रचना उत्तम काव्य सुंदर शब्दों का संयोजन।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया से लेखनी सफल हुई कुसुम जी । स्नेहिल आभार ।

      हटाएं
  9. गाँवों की बागीचियाँ
    घनी अमराईयाँ
    भरी दोपहरी
    मूक गवाह
    चंचल बचपन की

    सच में मौसम बदलते हैं तो कई तरह के बदलाव जीवन में भी होते हैं। उछल कूद बच्चों में बढ़ जाती है।

    जवाब देंहटाएं
  10. मीना दी, बदलते मौसम का बहुत ही सुंदर वर्णन किया हैं आपने।

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"