बहुत सुंदर प्रस्तुति मीना जी भीने भीने अहसास लिये।
उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार कुसुम जी ।
कुछ जागे कुछ सोये नम दृगों की ओट सेझांकते मुठ्ठी भर ख्वाबनिज अस्तित्व टटोलते....बहुत सुन्दर प्रिय मीना बहन सादर
हौसला अफजाई के लिए स्नेहिल आभार प्रिय अनीता ।
बहुत सुन्दर किन्तु उदास करने वाला शब्द-चित्र !
आपकी अनमोल प्रशंसा पाकर रचना सार्थक हुई 🙏 🙏
तम में उजास खोजती ,पंक्तियां सुंदर प्रस्तुति
बहुत बहुत आभार ऋतु जी ।
ख़्वाब अपने अस्तित्व को ढूंढ ही लेते हैं ... शब्द-चित्रों का ताना-बाना लाजवाब है ...
अनमोल प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से आभार नासवा जी ।
आपकी लिखी रचना रविवार 14 अप्रैल 2019 के लिए साझा की गयी हैपांच लिंकों का आनंद पर...आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
"पाँच लिकों का आनन्द" में मेरी रचना को साझा करने के लिए हृदयतल से आभार यशोदा जी ।
कुछ जागे कुछ सोये नम दृगों की ओट सेझांकते मुठ्ठी भर ख्वाबनिज अस्तित्व टटोलते बहुत सुंदर रचना
हृदयतल से आभार अनुराधा जी ।
बहुत सुन्दर
हृदयतल से आभार ओंकार जी ।
वाह .. बहुत सुंदर
हृदयतल से आभार वर्मा जी ।
सुखद आगत ढूँढतीझोपड़ियाँ खैपरल कीतकती सुदूर लैम्पपोस्ट तम में उजास खोजतीबहुत सुन्दर.... लाजवाब...।
स्नेहिल आभार सुधा जी ।
तम में उजास ढूढना --- क्या कहने
बहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन हेतु ।
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" l में लिंक की गई है। https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/04/117.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
"मित्र मंडली" में मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिकआभार राकेश जी ।
वाह ! क्या शब्द शिल्प है !!! मौलिक कल्पना, लाजवाब सृजन।
बहुत समय के बाद आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया मेरे लिए सुखद अनुभूति है मीना जी । सस्नेह आभार ।
सुखद आगत ढूँढतीझोपड़ियाँ खैपरल कीतकती सुदूर लैम्पपोस्ट तम में उजास खोजती.... वाह! हर छंद अपनी स्वच्छंदता की विलक्षणता में विचरण करता!!!!
आप जैसे गुणीजन की सराहना से सृजन को सार्थकता मिली विश्वमोहन जी । सादर आभार ।
सुन्दर
सादर आभार जोशी जी ।
सुंदर शब्द रचना।
हार्दिक धन्यवाद अंकुर जी ।
बहुत ही उम्दा सृजन, मीना दी।
बहुत बहुत आभार ज्योति जी ।
अति सुंदर अभिव्यक्ति अभिनंदन ।
बहुत बहुत आभार दीपशिखा जी ।
बहुत ही सुंदर रचना मीना जी ,सादर
तहेदिल से आभार कामिनी जी ।
सुखद आगत ढूँढतीझोपड़ियाँ खैपरल कीतकती सुदूर लैम्पपोस्ट तम में उजास खोजतीसुन्दर पंक्तियाँ
हार्दिक आभार विकास जी ।
वाह!..निशब्द.....ख़्वाब अपने अस्तित्व को ढूंढ ही लेते हैं
अनमेल प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से आभार संजय जी ।
मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏 - "मीना भारद्वाज"
बहुत सुंदर प्रस्तुति मीना जी भीने भीने अहसास लिये।
जवाब देंहटाएंउत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार कुसुम जी ।
हटाएंकुछ जागे कुछ सोये
जवाब देंहटाएंनम दृगों की ओट से
झांकते मुठ्ठी भर ख्वाब
निज अस्तित्व टटोलते....बहुत सुन्दर प्रिय मीना बहन
सादर
हौसला अफजाई के लिए स्नेहिल आभार प्रिय अनीता ।
हटाएंबहुत सुन्दर किन्तु उदास करने वाला शब्द-चित्र !
जवाब देंहटाएंआपकी अनमोल प्रशंसा पाकर रचना सार्थक हुई 🙏 🙏
हटाएंतम में उजास खोजती ,पंक्तियां सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ऋतु जी ।
हटाएंख़्वाब अपने अस्तित्व को ढूंढ ही लेते हैं ... शब्द-चित्रों का ताना-बाना लाजवाब है ...
जवाब देंहटाएंअनमोल प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से आभार नासवा जी ।
हटाएंआपकी लिखी रचना रविवार 14 अप्रैल 2019 के लिए साझा की गयी है
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
"पाँच लिकों का आनन्द" में मेरी रचना को साझा करने के लिए हृदयतल से आभार यशोदा जी ।
हटाएंकुछ जागे कुछ सोये
जवाब देंहटाएंनम दृगों की ओट से
झांकते मुठ्ठी भर ख्वाब
निज अस्तित्व टटोलते बहुत सुंदर रचना
हृदयतल से आभार अनुराधा जी ।
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंहृदयतल से आभार ओंकार जी ।
हटाएंवाह .. बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंहृदयतल से आभार वर्मा जी ।
हटाएंसुखद आगत ढूँढती
जवाब देंहटाएंझोपड़ियाँ खैपरल की
तकती सुदूर लैम्पपोस्ट
तम में उजास खोजती
बहुत सुन्दर.... लाजवाब...।
स्नेहिल आभार सुधा जी ।
हटाएंतम में उजास ढूढना --- क्या कहने
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका उत्साहवर्धन हेतु ।
हटाएंआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" l में लिंक की गई है। https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2019/04/117.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएं"मित्र मंडली" में मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक
हटाएंआभार राकेश जी ।
वाह ! क्या शब्द शिल्प है !!! मौलिक कल्पना, लाजवाब सृजन।
जवाब देंहटाएंबहुत समय के बाद आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया मेरे लिए सुखद अनुभूति है मीना जी । सस्नेह आभार ।
हटाएंसुखद आगत ढूँढती
जवाब देंहटाएंझोपड़ियाँ खैपरल की
तकती सुदूर लैम्पपोस्ट
तम में उजास खोजती.... वाह! हर छंद अपनी स्वच्छंदता की विलक्षणता में विचरण करता!!!!
आप जैसे गुणीजन की सराहना से सृजन को सार्थकता मिली विश्वमोहन जी । सादर आभार ।
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंसादर आभार जोशी जी ।
हटाएंसुंदर शब्द रचना।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद अंकुर जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा सृजन, मीना दी।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ज्योति जी ।
हटाएंअति सुंदर अभिव्यक्ति अभिनंदन ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार दीपशिखा जी ।
हटाएंबहुत ही सुंदर रचना मीना जी ,सादर
जवाब देंहटाएंतहेदिल से आभार कामिनी जी ।
हटाएंसुखद आगत ढूँढती
जवाब देंहटाएंझोपड़ियाँ खैपरल की
तकती सुदूर लैम्पपोस्ट
तम में उजास खोजती
सुन्दर पंक्तियाँ
हार्दिक आभार विकास जी ।
हटाएंवाह!..निशब्द.....ख़्वाब अपने अस्तित्व को ढूंढ ही लेते हैं
जवाब देंहटाएंअनमेल प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से आभार संजय जी ।
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