चलो आज कोई नया गीत गायें ।
किसी की न माने बहाने बनायें।।
उड़ानेंं पंछी के परों से चुरायें ।
नमी ओस की बादलों से उड़ायें ।।
सजाये सितारे त्रियामा सुहानी ।
हवा भी सुनाती नयी सी कहानी ।।
अनोखी छबीली लिए है रवानी ।
तमन्ना हमारी किसी ने न जानी ।।
कभी चाँदनी है कभी है अंधेरा ।
कहे भोर देखो नया है सवेरा ।।
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जवाब देंहटाएंकभी चाँदनी है कभी है अंधेरा ।
कहे भोर देखो नया है सवेरा ।।
सुन्दर अभिव्यक्ति।
बहुत बहुत आभार विकास जी ।
हटाएंवाह बहुत सुन्दर मीना जी नई भोर का सुंदर आह्वान करती सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंतहेदिल से आभार कुसुम जी ।
हटाएंकभी चाँदनी है कभी है अंधेरा ।
जवाब देंहटाएंकहे भोर देखो नया है सवेरा ।।
बहुत सुंदर रचना 👌
हृदयी आभार अनुराधा जी ।
हटाएंअनोखी छबीली लिए है रवानी ।
जवाब देंहटाएंतमन्ना हमारी किसी ने न जानी ।।
वाह!!!
बहुत ही सुन्दर मनभावन गीत...
अत्यन्त आभार सुधा जी ।
हटाएंमीना जी पहले सोचा की बेहतरीन पंक्तियाँ चुन के तारीफ करू ... मगर पूरी नज़्म ही शानदार है !!
जवाब देंहटाएंसराहनीय अनमोल प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार से संजय जी ।
हटाएंवाह ... बहुत सुन्दर छंद लाजवाब लेखन ...
जवाब देंहटाएंहर पंक्ति पूर्ण स्वयं में .. नया सन्देश लिए ... आग्रह है की अगर इस/आगे से भी जो लिखें, छंद की थोड़ी व्याख्या भी कर दें तो कुछ न कुछ नया जानने को मिल जाएगा पढने वालों को ... आभार ...
आपके उत्साहवर्धक वचनों से छंद रचना को सार्थकता मिली..., अभिभूत हूँ आपकी रचना में रूचि पाकर । आगे से इस तरह के सृजन में परिचय अवश्य रहेगा । भुजंगप्रयात छंद मात्रिक छंदों मेंं अग्रणी है । इसकी हर पंक्ति में यगण की चार बार आवृति होती है । इसका सूत्र---यगण अर्थात यमाता,यमाता, यमाता, यमाता है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना, मीना दी।
जवाब देंहटाएंअत्यन्त आभार ज्योति जी ।
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