सौ सौ फरेब
नयनों मे समाये
नेह दिखाये
आता नहीं यकीन
बातों पे तेरी
याद पुरानी आए
विश्वास करूँ
भूलूँ अतीत सारा
पैने से बोल
सिहरन तीरों सी
मिल न जाये
वही विश्वासघात
चिन्तित मन
मिलने से पहले
सोचे यही दुबारा
नयनों मे समाये
नेह दिखाये
आता नहीं यकीन
बातों पे तेरी
याद पुरानी आए
विश्वास करूँ
भूलूँ अतीत सारा
पैने से बोल
सिहरन तीरों सी
मिल न जाये
वही विश्वासघात
चिन्तित मन
मिलने से पहले
सोचे यही दुबारा
xxxxx
पैने से बोल
जवाब देंहटाएंसिहरन तीरों सी मिल न जाए
वहीं विश्वासघात चिंतित मन
मिलने से पहले सोचे यही दोबारा
बेहतरीन भावात्मक प्रहार
तहेदिल से हार्दिक आभार ऋतु जी ।
हटाएंअंतिम पंक्ति में लग रहा है कुछ छूट गया?
जवाब देंहटाएंनहीं ठीक है :)
हटाएंपैने से बोल
सिहरन तीरों सी
मिल न जाये
वही विश्वासघात
चिन्तित मन
मिलने से पहले
सोचे यही दुबारा
आज मुझे आपसे प्रतिक्रिया में good से excellent जैसा remark मिला :-) लेखन सार्थक हुआ 🙏🙏
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अनुराधा जी ।
हटाएंघात से डरे मन की सुंदर भावाभिव्यक्ति मीना जी।
जवाब देंहटाएंसुंदर शब्दों का संयोजन।
उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए हृदयी आभार कुसुम जी ।
हटाएंसौ सौ फरेब
जवाब देंहटाएंनयनों मे समाये
बहुत खूब आदरणीया
हृदयतल से आभार रविंद्र जी ।
हटाएंदिल को छुती बहुत सुंदर रचना, मीना दी।
जवाब देंहटाएंहृदयतल से आभार ज्योति जी ।
हटाएंपैने से बोल
जवाब देंहटाएंसिहरन तीरों सी
मिल न जाये
वही विश्वासघात
चिन्तित मन
मिलने से पहले
सोचे यही दुबारा
बहुत सुन्दर ,सटीक एवं सारगर्भित भावपूर्ण रचना...
आपकी हौसला अफजाई सदैव लेखन हेतु उत्साहवर्धन करती है सुधा जी ।
हटाएंbahut hi badhiya post likha hai aapne Windows 7 window 8 windows 10 download Kaise Kare
जवाब देंहटाएंअमूल्य प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से आभार आपका ।
हटाएंबहुत सुन्दर सखी
जवाब देंहटाएंसादर
तहेदिल से आभार सखी ।
हटाएंफरेब से डरे मन की बेहतरीन अभिव्यक्ति ,बहुत खूब ....
जवाब देंहटाएंतहेदिल से आभार सखी ।
हटाएंफरेब मिला हो तो विश्वास करना कठिन होता है ... और आसानी से करना भी नहीं चाहिए ... मन के भाव लखे हैं जो उपजते हैं डर से ...
जवाब देंहटाएंबस यूं ही लिख डाली । फेसबुक पर कहीं देखा था इस शीर्षक से कुछ लिखें । अगर मैं वैसे भाव ला पाई जो फरेब से उपजते हैं तो लिखना सार्थक हुआ । हृदयतल से आभार नासवा जी ।
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