चाहे भले लगे या बुरे लगे ,
मेरे उसूल कुछ हैं तो हैं ।
राहें भले ही हो कैसी भी ,
चलना इन पर मुझ को ही है ।
कायम की राय गर समझ बूझ ,
परिणाम मेरे अपने ही हैं ।
फिसल गया कभी पैर कहीं ,
तो टूटन का फिर दुख क्यों है ।
रोने से नही कुछ भी हासिल ,
मेरे सिद्धांत कुछ ऐसे ही है ।
चल उठ संभल और बढ़ आगे ,
निर्णय ये खुद मेरे ही है ।
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