आया वसन्त
ले मृदुल बयार
मनभावन
फूली सरसों
स्वर्णिम गोधूम
खिले पलाश
वीणा धारिणी
जननी जन्मोत्सव
वसन्तोत्सव
रंगों के साथ
छिड़़े फागुन राग
होली त्यौहार
प्रकृति नृप
हुलसित करता
सृष्टि के प्राण
XXXXX
वसंत का आगमन,प्रकृति के कण कण में नव जीवन का संचरण...वसंत के आगमन से पहले ही बेहद खूबसूरत हाइकु मीना जी :)
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी अनमोल वचनों के लिए हृदयतल से आभार संजय जी:)
हटाएंबहुत सुंदर 👌
जवाब देंहटाएंहृदयी आभार अनुराधा जी :)
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 08/02/2019 की बुलेटिन, " निदा फ़जली साहब को ब्लॉग बुलेटिन का सलाम “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन में मेरे सृजन को शामिल करने के लिए हृदयतल से आभार शिवम् जी ।
हटाएंबसंत के मधुर आगमन का स्वागत हैं लाजाब हाइकू ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ...
आपके ऊर्जावान वचनों से रचना को सार्थकता मिली । बहुत बहुत आभार नासवा जी!!
हटाएंवाह, वसंत ऋतु ने अपनी दस्तक दे दी है। वंसत के ऊपर पोस्ट प्रकाशित करके आपने यह याद दिला दी। इसके लिये आपका तहेदिल से धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंस्वागत आपका ब्लॉग पर एवं सृजनात्मकता की सराहना के लिए आपका अत्यन्त आभार जमशेद जी ।
हटाएंवाह!! सुन्दर हाइकु।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार विकास जी ।
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