बीते लम्हों के हर पल से,
यादों के जुड़े हैं तार..,कैसे कह दूँ ?
कुछ याद नही…..,
रेशम से उलझे रिश्तों में,
गाँठ लगी कई बार..,कैसे कह दूँ ?
कुछ याद नही……,
घर-आंगन सी जुड़ी अल्हड़ यादें,
बातें हैं बेशुमार..,कैसे कह दूँ ?
कुछ याद नही…..,
स्मृति की गठरी में बँधी बातें,
खुलती हैं कई बार…, कैसे कह दूँ ?
कुछ याद नहीं …….,
XXXXX
यादें टिस देती है कुछ भूलने नही देती.
जवाब देंहटाएंगजब.
एक ऐड आपके टेक्स्ट को छुपा रहा है कृपया सेटिंग सही कर लेवें.पढने में दिक्कत आती है.
बहुत बहुत आभार रोहित जी । आप कौनसा browser use करते हैं बताने का कष्ट करें मैं कमी पकड़ नही पा रही हूँ जो ऐड टेक्स्ट छुपा रहा है वो भी बता देंगे तो मेरा काम और आसान हो जाएगा । यह त्रुटि बताने के लिए हृदय से धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंगूगल क्रोम
जवाब देंहटाएंअभी शायद आपको ठीक हो गया होगा । प्रयास तो किया है..., Thanks again Rohit ji .
हटाएंबीते लम्हों के हर पल से,
जवाब देंहटाएंयादों के जुड़े हैं तार..,कैसे कह दूँ ?
बीते लम्हों के पलों को सहेजना भी आवश्यक होता है कभी कभी....ज़िन्दगी के फलसफो को बताती सूंदर रचना
आपकी प्रतिक्रिया सदैव लेखनी को सार्थकता देती है संजय जी । आपसे सहयोग चाहूँगी कृपया बताएगा अभी भी कोई ऐड टेक्स्ट पर आ रहा है क्या ....या अभी ठीक हो गया । मेरे पास सही दिखने के कारण गलती पकड़ मेंं नही आ रही ।
हटाएंरेशम से उलझे रिश्तों में,
जवाब देंहटाएंगाँठ लगी कई बार..,कैसे कह दूँ ?
कुछ याद नही……,
बहुत ही सुन्दर....
लाजवाब प्रस्तुति।
बहुत सारा आभार सुधा जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली और मुझे खुशी आपकी उपस्थिति सदैव उत्साहवर्धन करती है ।
हटाएंसस्नेह ।
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार २५ जनवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
तहेदिल से आभार श्वेता जी इस निमन्त्रण के लिए ।
हटाएंब्लॉग बुलेटिन टीम की और मेरी ओर से आप सब को राष्ट्रीय बालिका दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं|
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 24/01/2019 की बुलेटिन, " 24 जनवरी 2019 - राष्ट्रीय बालिका दिवस - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ब्लॉग बुलेटिन टीम और आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं शिवम् जी । मेरी पोस्ट दिनांक 24/01/2019 की बुलेटिन में स्थान देने के लिए सादर आभार !!
हटाएंघर-आंगन सी जुड़ी अल्हड़ यादें,
जवाब देंहटाएंबातें हैं बेशुमार..,कैसे कह दूँ ?
कुछ याद नही…..,
वाह शानदार रचना
आपकी उपस्थिति और हौसला अफजाई सदैव रचना को सार्थकता और मुझे संबल देती है । हार्दिक आभार अनुराधा जी !
हटाएंवाह! उमड़ पड़ी कितनी उम्मीदें
जवाब देंहटाएंबहा दिया जो आपने सोता
स्मृतियों का सुहाना
गुनगुनाकर यह तराना
..... कैसे कह दूं!
आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया ..., लेखन सफल हुआ । हार्दिक आभार विश्वमोहन जी !
हटाएंयूं ही होता जब बंद किताब के पन्ने पलटते
जवाब देंहटाएंयादों के सिलसिले ठहरे रूके फिर चलते
गम और खुशी तो हिस्सा है जिंदगी का
सदा साथ साथ चलते
कभी आंसू और कभी मुस्कान बन बिखरते।
बहुत सुंदर रचना मीना जी बहुत ही सुंदर भावों से रची बसी।
सस्नेह।
आपकी उपस्थिति सदैव खुशी भरा अहसास देती है...., स्नेह सहित अति आभार कुसुम जी !
हटाएंबहुत सुंदर..... रचना मीना जी ,यादें बड़ी अनमोल होती है... सादर स्नेह
जवाब देंहटाएंस्नेहिल उत्साहवर्धन के लिए हृदय से आभार कामिनी जी !
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंछोटी रचना लेकिन बेहद सटीक। हृदय को छूती प्रत्येक पंक्ति। कुछ यादें सदैव हमारे साथ रहती हैं..और हमारे साथ ही जीती है।
जवाब देंहटाएंस्वागत आपका ब्लॉग पर ..., सारगर्भित अनमोल प्रतिक्रिया के लिए हृदय से धन्यवाद प्रकाश जी !
हटाएंवाह !....बहुत खूब.... आदरणीया।
जवाब देंहटाएंआपकी उत्साहवर्धक अनमोल प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ रविन्द्र जी !
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