शरद ऋतु
छुवन तुहिन की
सिहरन सी
वसन्तोत्सव
छुवन बयार की
लागे भली सी
ऋतु पावस
छुवन फुहार की
मुदित धरा
जननी तेरी
छुवन ममता की
पूर्णता मेरी
नेह के नाते
छुवन निजत्व की
मन को भाये
ओ मातृभूमि !
छुवन गौरव की
तुझ से आए
XXXXX
खूबसूरत रचना। बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मीना जी।
जवाब देंहटाएंहौसला अफजाई के लिए हृदयतल से आभार पुरुषोत्तम जी ।
हटाएंसुन्दर हाइकु रचनाएँ लिखी है सखी
जवाब देंहटाएंसादर
सस्नेह हृदयतल से आभार सखी !
हटाएंशरद वसंत से होते हुए मात्री भूमि के गौरव में रचे सुन्दर हाइकू हैं सभी ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब ....
आपकी प्रतिक्रिया से रचना को सार्थकता मिली , बहुत बहुत आभार नासवा जी ।
हटाएंसुन्दर हाइकु।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद विकास जी ।
हटाएंआई बासंती बयार सौलह श्रृंगार किए फिर,ऋतु वसंत महकती आई।
जवाब देंहटाएंवसंत के आगमन से पहले ही बेहद खूबसूरत हाइकु मीना जी।
संजय जी ऋतु वसन्त पर काव्यात्मक प्रतिक्रिया..., हाइकु रचना मे लेखनी को सार्थकता मिली । हृदयतल से आभार ।
हटाएंबहुत खूब..... बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार रविन्द्र जी ।
हटाएंबेहतरीन हाइकु
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अभिलाषा जी ।
हटाएंहायकू लेखन में आपका कोई सानी नहीं मीना जी!
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब हायकू ....
आपके अनमोल वचनों से अभिभूत हूँ सुधा जी !! हृदयतल से आभार आपका !!
हटाएंसुंदर हाइकु मीना जी
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद अनुराधा जी ।
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