अपनी उम्र के गुजारे सारे बरस ,
मैनें तुम्हारी झोली में बाँध दिए हैं ।
खट्टी - मीठी गोली वाले ,
नीम की निम्बौरी वाले ।
जो कभी तुम्हारे साथ ,
तो कभी अपने आप जीए हैं ।
मेरे बचपन वाले दिन ,
जरा संभाल कर रखना ।
बिखर न जाएँ कहीं ,
गिरह कस कर पकड़ना ।
मेरे अपने हो तुम ,
तभी तो तुम से साझा किए हैं ।
ऐसा नहीं कि मैं परेशान हूँ ,
अपने सफर से कोई हैरान हूँ ।
मुट्ठी से फिसलती बालू रेत सी ,
जो रह गई हथेली में लगी…,बस ।
उसी उम्र के बचे शेष बरस ,
केवल और केवल तुम्हारे लिए हैं ।
XXXXX
गुजरते हुए हर लम्हे के साथ,
जवाब देंहटाएंआने वाले हर पल के साथ,
मैंने तुम्हे याद किया है.....
वाह क्या बात है खुबसूरत बहुत ही नाजुक भाव....खूबसूरत रचना !
इतनी खूबसूरत रचनात्मक प्रतिक्रिया के लिये तहेदिल से धन्यवाद संजय जी !!
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 25 दिसम्बर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएं"पाँच लिंकों का आनन्द में" मेरी रचना को शामिल कर मान देने के लिये हृदयतल से आभार यशोदा जी !!
हटाएंबेहद हदयस्पर्शी
जवाब देंहटाएंरोमांटिक रचना
बहुत बहुत आभार रविन्द्र जी ।
हटाएंजिनके लिए ये पल हैं इश्वर उनका साथ, उनके सफ़र का साथ सुखमय करे ...
जवाब देंहटाएंमन के जज्बात प्रेम की डोर की मजबूती का एहसास ही जीवन है ...
अच्छी रचना ...
अभिभूत हुआ मन..., इतनी सुखद शुभकामना पाकर , आपका हृदय की गहराईयों से हार्दिक आभार नासवा जी 🙏 .
हटाएंअपनी उम्र के गुजारे सारे बरस ,
जवाब देंहटाएंमैनें तुम्हारी झोली में बाँध दिए हैं ।
खट्टी - मीठी गोली वाले ,
नीम की निम्बौरी वाले ।
जो कभी तुम्हारे साथ ,
तो कभी अपने आप जीए हैं ।
वाह !!! अति सुंदर !
बहुत बहुत आभार मीना जी आपकी उर्जावान प्रतिक्रिया के लिए !!
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जवाब देंहटाएंऐसा नहीं कि मैं परेशान हूँ ,
अपने सफर से कोई हैरान हूँ ।
मुट्ठी से फिसलती बालू रेत सी ,
जो रह गई हथेली में लगी…,बस ।
उसी उम्र के बचे शेष बरस ,
केवल और केवल तुम्हारे लिए हैं ।
बहुत ही खूबसूरत ,लाजवाब रचना...
वाह!!!
सुधा जी ! बहुत बहुत आभार आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए ।
हटाएंसुन्दर कृति।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद विकास जी ।
हटाएंजीवन की अनुभूतियों को सहेज लूं.….
जवाब देंहटाएंमुट्ठी से फिसलती बालू रेत सी ,
जो रह गई हथेली में लगी…,बस ।
उसी उम्र के बचे शेष बरस ,
केवल और केवल तुम्हारे लिए हैं।
वाह कितने कोमल भाव मीना जी बहुत प्यारा अहसास ।
आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया सदैव संबल प्रदान करती है कुसुम जी ।
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