वादों का अब दौर गया।
सीखेंगे फिर हुनर नया ।।
किस किस पर यकीं करें ।
मन में सब के द्वेष भरा ।।
सच्चाई का भान नही।
बेमतलब का शोर मचा ।।
जितने मुँह उतनी बातें ।
अपने में हर एक खरा ।।
काई वाली राहें आगे ।
सोचे मनवा खड़ा खड़ा ।।
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समाज पर सटीक टिप्पणी करती रचना
जवाब देंहटाएंसच्चाई का भान नही।
बेमतलब का शोर मचा....बहुत ख़ूब 👌
स्नेहिल आभार अनीता जी !!
हटाएंबहुत खूब..
जवाब देंहटाएंयथार्थ !
किस किस पर यकीं करे
मन मे सबके द्वेष भरा।
रचना सराहना के लिए हार्दिक आभार रविन्द्र जी ।
हटाएंकाई वाली राहें आगे ।
जवाब देंहटाएंसोचे मनवा खड़ा खड़ा ।।
सत्य।
हार्दिक आभार विकास जी ।
हटाएंसुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद दीपशिखा जी ।
हटाएंबहुत लाजवाब...
जवाब देंहटाएंकिस किस पर यकीं करें ।
मन में सब के द्वेष भरा ।।
वाह !!!
उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदयतल से आभार सुधा जी ।
हटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंसादर आभार लोकेश नदीश जी ।
हटाएंबहुत खूब ये पंक्तियाँ मुझे लाजवाब लगी !!
जवाब देंहटाएंवादों का अब दौर गया।
सीखेंगे फिर हुनर नया ।।
आपकी अनमोल सराहना के लिए बहुत बहुत आभारी हूँ संजय जी ।
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