( 1 )
तेरे सारे ख़त मैंने कल जला दिए ।
यादों के निशां दिल से मिटा दिए ।।
आज आकर फिर यूं सामने मेरे ।
गुजरे पल फिर क्यों दोहरा दिए ।।
( 2 )
मैं तुझ पे यकीन करूं कैसे ।
तुम्हारे मन को मैं जानूं कैसे ।।
वक्त चाहिए खुलने में गिरहें ।
है सब कुछ ठीक मानूं कैसे ।।
( 3 )
हम तुम्हारा यकीन कर लेते हैं ।
ख्वाब बंद आँखों में भर लेते हैं ।।
मत देना उम्र से लम्बा इन्तजार ।
हम भी दोस्ती का दम भर लेते हैं ।।
( 4 )
रूठे हैं जो उन्हें मना के दिखाओ ।
हुनर अपनी समझ का दिखाओ।।
आसान नहीं कोई भी मंजिल ।
अर्जमंदी से मंजिलें पा के दिखाओ ।।
XXXXX
वाह !!!बहुत खूब 👌
जवाब देंहटाएंरूठे हैं जो उन्हें मना के दिखाओ
हुनर अपनी समझ का दिखाओ।
आसान नहीं कोई भी मंजिल
अर्जमंदी से मंजिलें पा के दिखाओ
बहुत बहुत आभार अनीता जी ।।
हटाएंबहुत ही बेहतरीन
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद अनुराधा जी ।
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 11 नवम्बर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और उत्साहवर्धन मेरे लिए अमूल्य है । 'पांच लिंकों का आनन्द में" मेरी रचना को साझा करने के लिए हृदयतल से आभार यशोदा जी ।
हटाएंरूठे हैं जो उन्हें मना के दिखाओ
जवाब देंहटाएंहुनर अपनी समझ का दिखाओ।
..... क्या कहने लाज़वाब सहज शब्दों में बात कह दी मीना जी
संजय जी आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया सदैव प्रोत्साहन प्रदान करती है मेरे लेखन की सराहना के लिए मैं हृदय से आभारी हूँ ।
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 10/11/2018 की बुलेटिन, " सेर पे सवा सेर - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएं"ब्लॉग बुलेटिन" में मेरी पोस्ट को मान देने के लिए तहेदिल से धन्यवाद शिवम् जी । आपकी हौसला अफजाई की मैंं हृदय से आभारी हूँ ।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूबसूरत मुक्तक मीना जी अवसाद शिकायत और सलाह सभी कुछ समा गये इन छोटे मुक्तकों में।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम
आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया लेखन के प्रति उत्साहित रखती है कुसुम जी ।
हटाएंबहुत उम्दा!!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार विश्व मोहन जी ।
हटाएंबढ़िया
जवाब देंहटाएंअत्यन्त आभार सुशील जी ।
हटाएंबहुत सुन्दर मीना जी. एक पुराना नगमा याद आ गया -
जवाब देंहटाएंहै इसी में प्यार की आबरू, वो जफ़ा करें, मैं वफ़ा करूं.'
स्वागत व आभार आपकी प्रतिक्रिया का । मुझे खुशी है कि मैंने आपको ये गाना याद दिला दिया ।
हटाएंबहुत ही सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद विकास जी ।
हटाएंवाह .।.
जवाब देंहटाएंसभी मुक्तक लाजवाब ... बातों की सहजता समेटे ...
रूठो को
मनाने का मज़ा अलग ही है ...
आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया अनमोल है मेरे लिए । मेरे लेखन की सराहना के लिए मैं हृदय से आभारी हूँ ।
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