top hindi blogs

Copyright

Copyright © 2024 "मंथन"(https://www.shubhrvastravita.com) .All rights reserved.

बुधवार, 28 नवंबर 2018

"उलझन"(तांका)

पीर पराई
समझो तो समझे
तुम्हें खुद के
सुख-दुख का साथी
जीवन अनुरागी

मन ये मेरा
अभिव्यक्ति विहीन
भ्रम मोह के
मुझ से न सुलझें
उलझे से बंधन

कुछ ना कहो
नयन बोलते हैं
मन की वाणी
बिन बोले कहते
अनसुलझी बातें
मन दर्पण
घट घट की जाने
जानी अंजानी
सुख-दुख की बातें
कितनी फरियादें

    XXXXX

8 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ न कहो
    नयन बोलते हैं
    मन की वाणी
    बिना बोले कहते
    अनसुलझी बातें

    बेहद सुन्दर कृति।

    जवाब देंहटाएं
  2. पीर पराई समझो तो समझे
    ....वाह बहुत खूब लिखा आपने मीना जी कई बार देर से पहुँचता हूँ ब्लॉग पर पर जब भी आता हूँ मन खुश हो जाता है पढके !!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी हृदय से आभारी हूँ संजय जी....., चाहे देर से आए , आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया सदैव लेखनी के लिए ऊर्जात्मक और उत्साहवर्धक होती है ।

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"