झील का किनारा और ऊँचे पहाड़
हरी-भरी वादी में वक्त बितायें ।
मन ने ठानी है आज
हम भी रूमानी हो जाएँ ।।
ओस में डूबी कुदरत
हम भी एस्किमोज बन जाएं।
डाले जेबों में हाथ
मुँह से भाप उड़ाएँ ।।
सोने सी बिखरी सैकत
रेतीले धोरों पर चलते जाएँ ।
मिलाएँ कदम से कदम
पीछे निशान छोड़ते जाएँ ।।
कभी नेह कभी तकरार
आपस में साथ निभाये ।
कभी मैं…, कभी तुम…,
एक दूजे के रंग में ढल जाएँ ।।
छोटी -छोटी बातों से अपना दिल बहलाएँ ।
चलो…, हम भी थोड़ा रूमानी हो जाएँ ।।
XXXXX
बहुत खूब सखी 👌
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद सखी :-)
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 24/11/2018 की बुलेटिन, " सब से तेज़ - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएं"ब्लॉग बुलेटिन" में मेरी रचना को समिल्लित कर मान देने के लिए सादर आभार शिवम् जी ।
हटाएंवाह बहुत खूबसूरत रचना, अलमस्त!
जवाब देंहटाएंवाह! मीना जी बहुत ही सरस।
कुसुम जी स्नेहिल और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार !!
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ओंकार जी ।
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक २६ नवंबर २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत बहुत आभार "पांच लिंकों का आनन्द" में रचना को शामिल करने हेतु ।
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद अनुराधा जी ।
हटाएंकभी मैं…, कभी तुम…,
जवाब देंहटाएंएक दूजे के रंग में ढल जाएँ ।।
छोटी -छोटी बातों से अपना दिल बहलाएँ ।
बहुत ही inspire करती हुई रबहुत कुछ कह जाती है कुछ पंक्तियाँ....
तहेदिल से शुक्रिया संजय जी !!
हटाएंसुंदर भाव संयोजन रचना
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद ऋतु जी ।
हटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआभार दीपशिखा जी ।
हटाएंकभी नेह कभी तकरार
जवाब देंहटाएंआपस में साथ निभाये ।
कभी मैं…, कभी तुम…,
एक दूजे के रंग में ढल जाएँ ।।
बहुत ही सुन्दर..
वाह!!!!
हृदयतल से आभार सुधा जी ।
हटाएंकभी नेह कभी तकरार
जवाब देंहटाएंआपस में साथ निभाये ।
कभी मैं…, कभी तुम…,
एक दूजे के रंग में ढल जाएँ !!!!!!
बहुत ही सुंदर हृदयस्पर्शी भावों से सजी रचना प्रिय मीना जी | ये रोमानियत बहुत प्यारी है | सस्नेह बधाई और शुभकामनायें इस अनुराग रंगी रचना के लिए |
आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया पाकर अभिभूत हूँ प्रिय रेणु जी ।
हटाएंऐसा माहोल तो रोज भी बनाया जा सकता है ...
जवाब देंहटाएंफिर भी एक दिल की कहानी रोमानी हो के लिखी रचन लाजवाब है ...
"हमकदम' मे विषय मिला नासवा जी...., सोचा प्रयास किया जाये..., प्रयास की सराहना के लिए बहुत बहुत आभार ।
हटाएंछोटी -छोटी बातों से अपना दिल बहलाएँ ।
जवाब देंहटाएंचलो…, हम भी थोड़ा रूमानी हो जाएँ ।।....बहुत सुंदर
आपकी अनमोल प्रतिक्रिया के लिए आभार वन्दना जी ।
हटाएंबहुत उम्दा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार लोकेश नदीश जी ।
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