विषम चरण - ११ मात्राएं
सम चरण - १३ मात्राएं
( १ ) मन ने ठानी आज , सृजन हो नया पुराना ।
मिली-जुली हो बात , लगे संगम की धारा ।।
( २ ) हो सब का सम्मान , कर्म कुछ ऐसे कीजै ।
बने एक इतिहास , देख सुन के सब रीझै ।।
( ३ ) रहना सब को साथ , जिद्द होगी बेमानी ।
विलग करो अभिमान , छोटी सी जिंदगानी ।।
( ४ ) भोर करे संकेत , हुआ है नया सवेरा ।
दुनिया एक सराय , मुसाफिर वाला डेरा ।।
( ५ ) होते नहीं निराश , राहें और भी बाकी ।
मन अपने को साध , वही सुख-दुख का साथी ।।
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बहुत ही सुन्दर छंद रचना मीना जी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद अभिलाषा जी ।
हटाएं..... वाह मीना जी सभी दोहे बढ़िया है सीख देने वाले ये ज्यादा पसंद आया ... भोर करे संकेत , हुआ है नया सवेरा ।
जवाब देंहटाएंदुनिया एक सराय , मुसाफिर वाला डेरा ।
आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया पाकर लिखना सार्थक हुआ अति आभार संजय जी :-)
हटाएंवाह!!मीना जी ,बहुत ही खूबसूरत छ़ंद 👌👌
जवाब देंहटाएंआपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार शुभा जी 🙏🙏
हटाएंलाजवाब छन्द...
जवाब देंहटाएंवाह!!!
आभार हौसला अफजाई के लिए सुधा जी 🙏
हटाएंसच दुनियां एक सराय ही तो है.
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा छंद.
नाफ़ प्याला याद आता है क्यों? (गजल 5)
हौसला अफजाई के लिए हृदयतल से धन्यवाद रोहिताश्व जी ।
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 05/10/2018 की बुलेटिन, 'स्टेंड बाई' मोड और रिश्ते - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन में मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए सादर आभार शिवम् मिश्रा जी !
हटाएंबहुत सुंदर 👌👌
जवाब देंहटाएंतहेदिल से धन्यवाद अनुराधा जी ।
हटाएंबहुत ही अच्छे छंद ...
जवाब देंहटाएंइसी बहाने रोला छंद को जानने का मौका भी मिल गया ...
बहुत बहुत आभार नासवा जी हौसला अफजाई के लिए 🙏
हटाएंबहुत ही बेमिसाल
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार लोकेश नदीश जी ।
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