( 1 )
उजली हँसी
खन खन खनकी
सुन के लगा
भोर वेला में कहीं
कलियाँ सी चटकी
( 2 )
एक टुकड़ा
सुनहरी धूप का
छिटक गया
मन के आंगन में
चपल हिरण सा
( 3 )
बिखर गई
अंजुरी भर बूँदें
ओस कणों की
धुली धुली निखरी
कलियाँ गुलाब की
XXXXX
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 22 अक्टूबर 2018 को लिंक की जाएगी ....http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआपका स्नेह और उत्साहवर्धन मेरे लिए अनमोल है यशोदा जी । "पांच लिंकों का आनन्द में" मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार ।
हटाएंबहुत सुंदर ताका हैं सभी ... विविध रूप की रचनाएँ बख़ूबी लिख रही हैं आप ...
जवाब देंहटाएंआपकी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया अमूल्य है मेरे लिए । बहुत बहुत आभार नासवा जी ।
हटाएंबहुत सुंदर 👌👌
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार अनुराधा जी ।
हटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद अभिलाषा जी ।
हटाएंबहुत सुंदर लिखा है आपने
जवाब देंहटाएंआपका तहेदिल से धन्यवाद 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार अंकित जी ।
हटाएंबहुत लाजवाब...
जवाब देंहटाएंवाह!!!
हार्दिक आभार सुधा जी ।
हटाएंसुबह की धूप से मनभावन तांका मीना जी अप्रतिम लेखन।
जवाब देंहटाएंआपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से धन्यवाद कुसुम जी ।
हटाएंआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/10/92-93.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका राकेश जी "मित्र मंडली" में मेरी रचना को स्थान देने के लिए ।
हटाएंबिखर गई
जवाब देंहटाएंअंजुरी भर बूँदें
ओस कणों की
धुली धुली निखरी
कलियाँ गुलाब की
...सुंदर ताके हैं सभी पर...अंजुरी भर बूँदें दिल में उतर गई मीना जी
लिखना सफल हुआ इस अनमोल प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार संजय जी ।
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