( 1 ) गीली रेत पर कभी उकेरी थी एक तस्वीर ।
समेट ले गई सब कुछ वक्त की लहर ।
बस कुछ शंख सीपियों के निशान बाकी हैं ।।
( 2 ) कभी कभी बेबाक हंसी ।
बेलगाम झरने सरीखी होती है ।
गतिरोध आसानी से हट जाया करते हैं ।।
( 3 ) आज कल बोलने का वक्त है ।
कहने सुनने से आत्मबल बढ़़ जाता है ।
मछली बाजारों में बातें कहां शोर ही सुनता है ।।
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बहुत ही सुन्दर रचना 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद अभिलाषा जी ।
हटाएंबहुत ख़ूब ...
जवाब देंहटाएंहर त्रिवेणी लाजवाब ... नया मोड़ देती हुयी तीसरी पंक्ति लनवाब है ...
हृदय से धन्यवाद नासवा जी ।
हटाएंबहुत सुंदर,
जवाब देंहटाएंशायद ही आज कोई त्रिवेणी लिख रहा हो।आपकी शानदार रचना देख कर इस विधा की कामयाबी का एहसास हुआ गुलज़ार साहब की याद आ गयी।
आभार
बहुत बहुत धन्यवाद आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए । गुलज़ार साहब को पढना मुझे बेहद पसंद है । आज भी उनका लिखा चाहे गद्य में हो या पद्य में मिल जाए तो जरूर पढ़ती हूं । लेखन के क्षेत्र में उनका योगदान बेमिसाल है। मेरी त्रिवेणियों ने आपको उनकी याद दिलाई यह बहुत बड़ी बात है मेरे लिए ।
हटाएंसार्थक चिंतन से प्रवाहमान त्रिवेणी.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार रविन्द्र सिंह जी उत्साहवर्धित करती प्रतिक्रिया के लिए।
हटाएंलाजवाब त्रिवेणी...
जवाब देंहटाएंवाह!!!
बहुत बहुत आभार सुधा जी।।
हटाएंकिसी भी चीज के लिए 'वातावरण' महत्वपूर्ण है। इसी से परिणाम का आकलन किया जा सकता है।
जवाब देंहटाएंएक अद्भुत रचना प्रस्तुत किया आपने ।
स्वागत आपका "मंथन" पर , आपकी सुन्दर सी प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से धन्यवाद प्रकाश जी।
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार लोकेश नदीश जी ।
हटाएंआपकी लिखी रचना "साप्ताहिक मुखरित मौन में" शनिवार 20 अक्टूबर 2018 को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएं"साप्ताहिक मुखरित मौन" में मेरे सृजन को शामिल करने के लिए हृदयतल से धन्यवाद यशोदा जी।
हटाएंबहुत ख़ूब ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब रचना...
हार्दिक आभार अंकित जी ।
हटाएंअमित जी आप सब की सराहना मिली मेरा लिखना सफल हुआ। आपकी प्रतिक्रिया हृदय छू गई । तहेदिल से धन्यवाद आपका ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंमछली बाजारों में बातें कहां शोर ही सुनता है ।।
जवाब देंहटाएंलाजवाब त्रिवेणी लिख रही है आजकल..... मीना जी
हृदय से आभार संजय जी , आपकी प्रतिक्रियाएं सदैव बेहतर लिखने के लिए उत्साहित करती हैं ।
हटाएंबहुत सुंदर , आजकल ये विधा कम ही पढने को मिलती है
जवाब देंहटाएंआपका कथन सत्य है,बहुत बहुत धन्यवाद सराहना हेतु ।
हटाएंआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है. https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/10/92-93.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएं"मित्र मंडली" में रचना "त्रिवेणी" को सम्मिलित करने के लिए हृदयतल से धन्यवाद राकेश जी ।
हटाएंसुंदर प्रयोग कर रही हैं मीना जी आप नई विधाओं में सभी दुरुस्त और अच्छी प्रस्तुति । बधाई।
जवाब देंहटाएंआपकी प्रतिक्रिया मनोबल संवर्धक है कुसुम जी । हृदयतल से आभार व्यक्त करती हूं ।
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