भोर का तारा जा सिमटा
नींद के आगोश में ।
अरूणाभ ऊषा ने
छिड़क दिया सिंदूरी रंग
कुदरत के कैनवास पर ।
पूरी कायनात सज गई
अरूणिम मरकती रंगों से ।
भोर की भंगिमा निखर गई
प्रकृति के विविध अंगों से ।
सात रंगों की उजास ने
सूर्य प्रभामंडल संग मिल
श्वेताभ रंग बिखेर दिया ।
सृष्टि को कर्मठता से
कर्मपथ पर कर्मरत रहने
हेतु संदेश दिया ।
विश्रान्ति काल ……..,
सांझ का तारा ले आया
टिमटिमाता मटियाला कम्बल ।
चाँद-तारों से बात कर
प्राणों में ऊर्जा संचित कर ।
कर्म क्षेत्र की राह पर
कर्मठता का रथ तैयार कर ।
XXXXX
वाहः लाजवाब सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार लोकेश नदीश जी ।
हटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंतहेदिल से शुक्रिया अनीता जी ।
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 01/10/2018 की बुलेटिन, ये बेचारा ... होम-ऑटोमेशन का मारा “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएं"ब्लॉग बुलेटिन" में मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद,🙏🙏
हटाएंबहुत खूबसूरत रचना।
जवाब देंहटाएंतहेदिल से शुक्रिया पम्मी जी ।
हटाएंसुन्दर और प्रेरक...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद विकास जी ।
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जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 3 अक्टूबर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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"पांच लिंकों का आनन्द" में मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार पम्मी जी ।
हटाएंकायनात के रंगों को अरुणिमा से सजाने साथ रथों पर जीवन सवार हो कर आता है ... बिखर जाता है आकाश पर ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर रंगों से सजी सुन्दर रचना ...
उत्साहवर्धक और सराहना करती प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार नासवा जी ।
हटाएंवाहहह... बेहद दिलक़श रचना मीना जी..👌👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार श्वेता जी ।
हटाएंवाह वाह शानदार रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद अनुराधा जी ।
हटाएंवाह ,बेहतरीन रचना ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद अंकित जी ।
हटाएंसांझ का तारा ले आया
जवाब देंहटाएंटिमटिमाता मटियाला कम्बल ।
.....क्या बात है..सुन्दर रंगों से सजी रचना
आभार संजय जी ! आपकी हौसला अफजाई सदैव उत्साहवर्धित करती है ।
हटाएंवाह बहुत ही सुंदर रंगों से सजा सप्त रंग सौन्दर्य प्रकृति का।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार कुसुम जी ।
हटाएंnice lines
जवाब देंहटाएंOnline Book Publishers India
Thanks.
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