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सोमवार, 1 अक्टूबर 2018

"जीवन रंग"

भोर का तारा जा सिमटा
नींद के आगोश में ।
अरूणाभ ऊषा ने
छिड़क दिया सिंदूरी रंग
कुदरत के कैनवास पर ।

पूरी कायनात सज गई
अरूणिम मरकती रंगों से ।
भोर की भंगिमा निखर गई
प्रकृति के विविध अंगों से ।

सात रंगों की उजास ने
सूर्य प्रभामंडल संग मिल
श्वेताभ रंग बिखेर दिया ।
सृष्टि को कर्मठता से
कर्मपथ पर कर्मरत रहने
हेतु संदेश दिया ।

विश्रान्ति काल ……..,
सांझ का तारा ले आया
टिमटिमाता मटियाला कम्बल ।

चाँद-तारों से बात कर
प्राणों में ऊर्जा संचित कर ।
कर्म क्षेत्र की राह पर
कर्मठता का रथ तैयार कर ।

         XXXXX

26 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 01/10/2018 की बुलेटिन, ये बेचारा ... होम-ऑटोमेशन का मारा “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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    उत्तर
    1. "ब्लॉग बुलेटिन" में मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद,🙏🙏

      हटाएं

  2. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 3 अक्टूबर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!



    .

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    उत्तर
    1. "पांच लिंकों का आनन्द" में मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार पम्मी जी ।

      हटाएं
  3. कायनात के रंगों को अरुणिमा से सजाने साथ रथों पर जीवन सवार हो कर आता है ... बिखर जाता है आकाश पर ...
    सुन्दर रंगों से सजी सुन्दर रचना ...

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    उत्तर
    1. उत्साहवर्धक और सराहना करती प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार नासवा जी ।

      हटाएं
  4. वाहहह... बेहद दिलक़श रचना मीना जी..👌👌👌

    जवाब देंहटाएं
  5. सांझ का तारा ले आया
    टिमटिमाता मटियाला कम्बल ।
    .....क्या बात है..सुन्दर रंगों से सजी रचना

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभार संजय जी ! आपकी हौसला अफजाई सदैव उत्साहवर्धित करती है ।

      हटाएं
  6. वाह बहुत ही सुंदर रंगों से सजा सप्त रंग सौन्दर्य प्रकृति का।

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"