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रविवार, 16 सितंबर 2018

"कब तक”

नैन हमारे तकते राहें ,जाने तुम आओगे कब तक ।
जाओ तुम से बात करें क्यों , साथ हमारा दोगे कब तक ।।

ना फरमानी फितरत पर हम , बोलो क्योंकर गौर करेंगे ।
तुम ही कह दो जो कहना है , हम से और लड़ोगे कब तक ।।

बेमतलब यूं दुख देने का , हुनर कहाँ  से तुमने पाया ।
मेरी तो आदत ऐसी ही , तुम ये बात कहोगे कब तक ।।

छोड़ो हठ  करने की आदत  , काम कई हैं करने  बाकी ।
घर अपना है जग अपना है , तुम ये सब समझोगे कब तक ।।

जीवन नैया बिन नाविक के , बोलो पार करोगे कैसे ।
बहते दरिया के पानी को , बाँधों से रोकोगे कब तक ।।
XXXXX

27 टिप्‍पणियां:

  1. ना फरमानी फितरत पर हम , बोलो क्योंकर गौर करेंगे ।
    तुम ही कह दो जो कहना है , हम से और लड़ोगे कब तक !!!!!!!!
    अत्यंत भावपूर्ण पंक्तियाँ हैं सभी | हार्दिक बधाई प्रिय मीना जी |

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    1. रेणु जी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से धन्यवाद ।

      हटाएं
  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 18 सितम्बर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    उत्तर
    1. इस मान भरे निमंत्रण के लिए हृदयतल से आभार आपका आदरणीय 🙏🙏

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  3. वाह वाह अद्भुत क्या कहने..... भारद्वाज जी उत्तम सृजन

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए नवीन श्रोत्रिय जी ।

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  4. वाह बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना

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  5. बहुत सुन्दर ....भावपूर्ण रचना....
    वाह!!!

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    1. बेहद प्रसन्नता हुई आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया पाकर, आभार सुधा जी ।

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  6. सुना है खुद को बहुत छलकाए जा रहे हो
    दरिया बन ही जानी है खुद के पानी से
    यूँ तो खुला बहोगे कब तक.

    बेहद लाजवाब प्रस्तुती.

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  7. बहुत सुंदर रचना मीना जी..👌

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  8. बहुत सुंदर रचना। सरल भोली भावनाओं को शब्दबद्ध कर दिया है। बेहतरीन।

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  9. सच है ... दरिया के पानी को रोकना आसान नहीं होता ...
    निकल आता है तट तोड़ कर ...
    हर शेर में गज़ब अंदाज़ ...

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    1. उत्साहवर्धन हेतु तहेदिल से धन्यवाद नासवा जी ।

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  10. जीवन नैया बिन नाविक के , बोलो पार करोगे कैसे ।
    बहते दरिया के पानी को , बाँधों से रोकोगे कब तक ।।.... बहुत सुंदर

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    1. "अटूट बंधन" आपका हृदयतल से धन्यवाद 🙏🙏 आपकी प्रतिक्रियाएं सदैव मनोबल बढ़ाती हैं ।

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  11. सोचा की बेहतरीन पंक्तियाँ चुन के तारीफ करून... मगर पूरी नज़्म ही शानदार है ...आपने लफ्ज़ दिए है अपने एहसास को... दिल छु लेने वाली रचना ...

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    उत्तर
    1. बहुत बहुत धन्यवाद संजय जी आपकी सराहनीय और मनोबल बढ़ाने वाली प्रतिक्रिया के लिए ।

      हटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"