वक्त मिला है आज , कुछ अपना ढूंढते हैं ।
करें खुद से खुद ही बात , अपना हाल पूछते हैं ।।
कतरा कतरा वक्त , लम्हों सा बिखर गया ।
फुर्सत में खाली हाथ , उसे पाने को जूझते हैं ।।
दौड़ती सी जिंदगी , यकबयक थम गई ।
थके हुए से कदम , खुद के निशां ढूंढते हैं ।।
गर्द सी जमी है , घर के दर और दीवारों पर ।
मेरे ही मुझ से गैर बन , मेरा नाम पूछते हैं ।।
ज़िन्दगी की राह में , देखने को मिला अक्सर ।
दोस्त ही दुश्मन बन , दिल का चैन लूटते हैं ।।
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