(1) उमड़ घुमड़ कर छा गए, बादल ये घनघोर ।
इन्द्र देव की है कृपा , नाचें मन का मोर ।।
(2) सावन आया हे सखी , तीजों का त्यौहार ।
पहन लहरिया आ गई , मूमल सी घर नार ।।
(3) गूंजे मीठी बोलियां , गीतों की भरमार ।
भाई आया पाहुना , राखी का त्यौहार ।।
(4) मैं पूजूं शिव पार्वती , करूं यही अरदास ।
दया रहे बस आपकी , सुखी रहे घर बार ।।
(5) हो सम्पन्न वसुंधरा , सजे खेत खलिहान ।
आलम्बन निज मान के , बने सभी इन्सान ।।
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सावन की मीठी फुहार और इस मौसम से जुड़ी रीति रिवाजों को जोड़ के लिखे सुंदर दोहे ...
जवाब देंहटाएंबहुत मधुर ...
अति आभार नासवा जी 🙏
हटाएंमीना दी,सभी दोहे एक से एक हैं। बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंस्नेहिल और अपनत्व भरे सम्बोधन और दोहों की सराहना के लिए हृदयतल से धन्यवाद ज्योति :-)
जवाब देंहटाएंसभी दोहे बहुत सुंदर हैं
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका ।
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