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गुरुवार, 9 अगस्त 2018

।। दोहे ।। "सावन”

(1)      उमड़ घुमड़ कर छा गए, बादल ये घनघोर ।
इन्द्र देव की है कृपा , नाचें मन का मोर ।।

(2) सावन आया हे सखी , तीजों का त्यौहार ।
पहन लहरिया आ गई , मूमल सी घर नार ।।

(3) गूंजे मीठी  बोलियां , गीतों की भरमार ।
भाई आया पाहुना , राखी का त्यौहार ।।

(4) मैं पूजूं शिव पार्वती ,  करूं यही अरदास ।
दया रहे बस आपकी , सुखी रहे घर बार ।।

(5) हो सम्पन्न वसुंधरा , सजे खेत खलिहान ।
आलम्बन निज मान के , बने सभी इन्सान ।।

               

                          XXXXX


6 टिप्‍पणियां:

  1. सावन की मीठी फुहार और इस मौसम से जुड़ी रीति रिवाजों को जोड़ के लिखे सुंदर दोहे ...
    बहुत मधुर ...

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  2. मीना दी,सभी दोहे एक से एक हैं। बहुत सुंदर।

    जवाब देंहटाएं
  3. स्नेहिल और अपनत्व भरे सम्बोधन और दोहों की सराहना के लिए हृदयतल से धन्यवाद ज्योति :-)

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"