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शनिवार, 4 अगस्त 2018

"कभी तो मिलने आया करो"

कभी तो मिलने आया करो ।
अपने हो याद दिलाया करो ।।

महंगा हो गया वक्त आजकल ।
मिले तो साथ निभाया करो ।।

उलझनों को बांध गठरी में ।
बाहर ही छोड़ आया करो ।।

फबती है मुस्कान तुम पर ।
इसे लबों पर सजाया करो ।।

करते रहेंगे सब नुक्ताचीनी ।
अपना हुनर आजमाया करो ।।

दुनियां के बाजार में भीड़ बहुत ।
अर्जमन्दी से राहें बनाया करो ।।

फूलों ढकी राहें  होती नहीं कभी ।
जैसी मिले राह चलते जाया करो ।।

XXXXX


8 टिप्‍पणियां:

  1. हिन्दी भाषा
    1 बने समृद्ध और विश्व विजयी हो
    एक हमारी यह अभिलाषा
    जन जन का मस्तक ऊंचा करती
    स्वरण्मयी यह हिन्दी भाषा
    जन जन का स्वाभिमान सँजोया
    एक सूत्र में राष्ट्र पिरोया
    जिसने पढ़ा इसी में खोया
    बीज एकता का इसने बोया
    2 इसे संवारा अपने श्रम से
    सफल किया आपण उद्यम से
    तुलसी मीरा सूर कबीर ने इसे चमकाया
    सत्साहित्य रच मान बढ़ाया
    3 स्वस्थ परंपरा जारी रखना
    कालजयी रचनाएँ रचना
    बढ़े विश्व में गौरव इसका
    हिन्दी भाषा नाम है जिसका
    ashok

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  2. "स्वस्थ परंपरा जारी रखना
    कालजयी रचनाएँ रचना
    बढ़े विश्व में गौरव इसका
    हिन्दी भाषा नाम है जिसका"
    आपके उद्गारों को नमन 🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ख़ूब ...
    सादा और प्रभावी ग़ज़ल .. छोटी बहर में
    लिखी ... अच्छी ग़ज़ल ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपको कोशिश अच्छी लगी इसके लिए ....,मेरे उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।

      हटाएं
  4. बहुत प्रभावशाली अच्छी ग़ज़ल

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपका स्वागत "मंथन" पर 🙏🙏 आपकी सराहनीय प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से धन्यवाद ।

      हटाएं
  5. मिलन याद वक्त और मुस्कराहट
    बहुत खूबसूरत खयालॉं को नज़्मों मे पिरोया है आपने ... अच्छी ग़ज़ल :(

    जवाब देंहटाएं

मेरी लेखन यात्रा में सहयात्री होने के लिए आपका हार्दिक आभार 🙏

- "मीना भारद्वाज"